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देश के लोकतंत्र की शान है भारतीय संविधान

जिले भर में आजाद देश का 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 03:24 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 03:24 PM (IST)
देश के लोकतंत्र की शान है भारतीय संविधान
देश के लोकतंत्र की शान है भारतीय संविधान

जयदेव गोगा, नवांशहर : जिले भर में आजाद देश का 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। देश के स्वाधीन होने के पश्चात अब से 73 साल पूर्व 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को एक लोकतांत्रिक सरकार प्राथमिकता के आधार पर लागू किया है। भारत का संविधान अपनी अनूठी विशेषाओं के कारण प्रशंसनीय है। देश को इसका यह पवित्र ग्रंथ समर्पित करते हुए उसके निर्माता डा. भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि यह एक ऐसी किताब है, जो युद्धकाल में भी देश की रक्षा करेगी और शांति काल के लिए प्रासंगिक होगी। संविधान अपनी अनूठी विशेषता के लिए जाना जाता है : दिलबाग सिंह

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मूसापुर रोड नवांशहर में स्थित डा. भीमराव आंबेडकर भवन ट्रस्ट अधिकारी व नवांशहर के पूर्व शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह ने बताया कि डा. भीमराव आंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण जाना जाता है। संविधान की यह विशेषताएं उसे देश के समक्ष उपजी किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति से निपटने में सक्षम बनाती है। इसलिए भारत के हर नागरिक को अपने संविधान के बारे में जानकारी रखना बहुत जरूरी है। भारतीय संविधान जहां हमें कुछ मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, वहीं इसमें मौलिक कर्तव्यों को भी शामिल किया गया है। यह कर्तव्य केवल नागरिकों पर लागू होते हैं और इन कर्तव्यों का निर्वहन करना हर नागरिक का कर्तव्य है।

विविधता को एकता में जोड़ने रखने का ग्रंथ : धर्मपाल

एडवोकेट धर्मपाल जांगड़ा ने बताया कि भारतीय संविधान देश की विविधता को एकता के सूत्र में जोड़े रखने वाला एक पवित्र ग्रंथ है। देश में लागू इस संविधान में सभी मतों का समावेश है। असल में हमारा संविधान एकीकरण और देश की पहचान है। शायद इसलिए विभिन्न पक्ष खुद को इसमें शामिल पाते हैं। इन्हें मुश्किल की घड़ी में इसकी परिपूर्णता पता चलती है, जहां तक कि अपराधी भी इसकी ताकत की दोहाई देते हैं। संविधान राजनीतिक समानता प्रदान करता है : एसएस कोहली

एडवोकेट एसएस कोहली का कहना है कि भारतीय संविधान का वह हिस्सा जिसमें मौलिक अधिकार भी हैं, उसका उद्देश्य राजनीतिक समानता के साथ, सामाजिक समानता प्रदान करना भी है। मौलिक अधिकारों के अलावा हमारा संविधान किसी भी रूप में अस्पृश्यता की प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाता है और इस बात की पैरवी करता है कि किसी भी नागरिक को किसी भी प्रकार के सार्वजनिक स्थान तक पहुंच से वंचित न किया जाए। अच्छे संविधान की अवधारणा का आकार देता है : एडवोकेट प्रदीप धीर

एडवोकेट प्रदीप धीर का कहना है कि भारतीय संविधान एक अच्छे समाज की अवधारणा को आकार देता है। इसमें वर्णित,समानता, बंधुत्व व समरसता का लक्ष्य पाने के लिए सबको एकजुट होकर काम करना चाहिए। गणतंत्र तो अनुशासन की मांग करता है, परन्तु हम अपनी सुविधा के मुताबिक काम चलाना चाहते हैं। इससे बचना होगा। समाज के जन प्रतिनिधियों का भी यह दायित्व बनता है कि वे व्यापक सामाजिक हित को साधने की कोशिश करें। भारतीय गणतंत्र की मजबूती में लोकतंत्र और संविधान के साथ-साथ सभी लोगों के योगदान का भी महत्वपूर्ण स्थान है।


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