मिलकर मनाएं गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व
जयदेव गोगा, नवांशहर : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर सरकार की ओर से सिक्का व डाक टिक
जयदेव गोगा, नवांशहर : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर सरकार की ओर से सिक्का व डाक टिकट जारी करने का फैसला लेने पर जिले के लोगों में खुशी का माहौल है। गुरु नानक देव जी ने देश वासियों को मेल मिलाप से रहने का संदेश दिया था। उन्होंने छुआछूत, अंधविश्वास व पाखंडों का खंडन किया था तथा मानव प्रेम और सहयोग के महत्व को समझाया था। वह ¨हदू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, ईसाई आदि सभी धर्मों के तीर्थ स्थानों पर गए थे। वहां उन्होंने एकेश्वर का उपदेश दिया और सभी धर्मो के लोगों को समान रूप से प्रभावित किया। इस पवित्र पर्व पर केंद्र सरकार की ओर से कई घोषणाएं की गई हैं। राज्य सरकार ने भी इस ऐतिहासिक समारोह को राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक स्तर से ऊपर उठकर सामूहिक रूप से मनाने के लिए कहा है।
एकता का संदेश देने के लिए सुनहरी मौका
नरेश कुमार ने कहा कि 23 नवंबर को शुरू हो रहे प्रकाश पर्व संबंधी समारोहों को अगर विभिन्न विचार धाराओं के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं तो यह देश को एकता का संदेश देने वाला एक सुनहरी मौका होगा। सूबे के मुख्यमंत्री ने भी इस ऐतिहासिक समारोह को शानदार ढंग से मनाने के लिए सभी को सियासी तथा धार्मिक स्तर से ऊपर उठकर सहयोग देने का आह्वान किया है। श्री गुरु नानक देव जी ने जीवन भर जात-पात का भेद मिटाने और राग द्वेष मिटाने की भरसक कोशिश की थी। गुरु जी कहा करते थे कि न कोई ¨हदू है, न मुसलमान। सभी इस परम पिता परमात्मा के बंदे हैं। दूसरों के दोष देखना छोड़कर हमें पहले अपने दोष देखने चाहिए। उनके उपदेशों का सभी धर्मों के लोगों पर ऐसा प्रभाव पड़ता था कि वह तुरंत ही उनके अनुयायी बन जाते थे और उन पर गहरी श्रद्धा रखते थे।
मानव जाति के लिए थे गुरु जी के उपदेश
राकेश कुमार चैतल ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा द्वारा आध्यात्मिक पक्ष व विचारों को बड़े सुंदर तरीके से कविता के माध्यम से पेश किया। धर्म ने साहित्य को बल दिया और धर्म को प्रतिभा के बल पर लोगों और उनके घरों तक पहुंचाया। गुरु जी द्वारा दिए गए ईश्वर भक्ति, प्रेम और सेवा के उपदेश किसी खास धर्म, जाति अथवा संप्रदाय के लिए नहीं थे, बल्कि मानव जाति के लिए थे। श्री गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं पर केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सेमिनार भी आयोजित करने की घोषणा की है। लोगों तक सुख और शांति का उपदेश पहुंचाने के लिए गुरु जी ने देश विदेश का भ्रमण किया। 25 साल तक भ्रमण करने के बाद गुरु नानक देव जी करतारपुर में बस गए और वहीं उपदेश देने लगे।
यात्राओं में आध्यात्म का किया प्रचार
राम कुमार शारदा ने बताया कि देश की एकता और अखंडता के प्रति श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में देश देशांतर की यात्राएं कीं। यात्राओं में ऐमनाबाद जाकर लोलो बढ़ई के घर ठहरे। वहां से हरिद्वार, दिल्ली, गया, काशी और जगन्नाथपुरी तक गए। इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत की तरफ कूच किया। वहां सेतू बांध, रामेश्वरम, अर्बुदगिरी तथा सिहंलद्वीप आदि स्थलों में जाकर गुरु जी ने आध्यात्म का प्रचार किया। श्री गुरु नानक देव जी से जुड़े स्थानों के दर्शन के लिए रेल मंत्रालय एक ट्रेन भी चलाने जा रहा है। जोकि प्रशंसनीय कदम है।