आयकर स्लैब में सकारात्मक बदलाव की जरूरत
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में बजट पेश होगा।
जागरण संवाददाता, नवांशहर :
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में आम बजट को पेश करेंगी। नौकरीपेशा लोगों को इस बात की उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस बार आयकर स्लैब में सकारात्मक बदलाव कर राहत प्रदान करने का प्रावधान करेगी। इसे लेकर पिछले कुछ साल से लगातार मांग की जा रही है। कोविड-19 संकट के दौरान नौकरीपेशा लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है। उनकी बचत पर नकारात्मक असर पड़ा है। यही कारण है कि इस वर्ग द्वारा उम्मीद की जा रही है कि यह बजट उनकी बचत को बढ़ाने की दिशा में विशेष सहायक साबित होगा। सात लाख वालों को पांच फीसद में लाया जाए
प्रि. राजिदर गिल ने कहा कि नौकरी पेशा लोगों की ओर से पांच से साढ़े सात लाख रुपये तक की वार्षिक आय को पांच प्रतिशत टैक्स के दायरे में लाने की मांग की जा रही है। वहीं ढाई से पांच लाख रुपये तक की आय को पर शून्य टैक्स के दायरे में लाया जाना चाहिए। जब से कोविड-19 महामारी ने दस्तक दी है तब से नौकरीपेशा लोगों के खर्चे तो अबाधित रूप से बढ़ें हैं, मगर आमदनी के रास्ते पथरीले हो गए हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियों में काम करने जसकरण सिंह का कहना है कि वार्षिक इंक्रीमेंट और प्रमोशन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। प्रत्यक्ष कर के रूप में अभी आयकर का जो स्लैब है,उसमें सुधार की जरूरत है। यह ऐसा होना चाहिए जिससे लोगों का जीवन आसान बन सके और वह अधिक बचत करने में सक्षम हो सकें। वर्तमान में टैक्स स्लैब की स्थिति
वर्तमान व्यवस्था कर्मचारी हित में नहीं है
- प्रि. किरण हांडा का कहना है कि केंद्र द्वारा न्यू टैक्स रूल को प्रस्तुत किया गया था, इसे उम्मीद के मुताबिक आयकर दाताओं का विश्वास प्राप्त नहीं हो सका। ऐसे में चाहिए यह कि ओल्ड टैक्स रिजीम को ही सुधार कर बेहतर बनाया जाए। वहीं 10 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को पांच प्रतिशत टैक्स के दायरे में लाया जाए। वहीं 80सी की सीमा 1.5 से बढ़ा कर कम से कम 2.5 लाख रुपये तक की जाए।पांच लाख रुपए इंकम टैक्स की छूट होनी चाहिए। महंगाई को कम किया जाना चाहिए। केंद्रीय कर्मचारियों को पे-कमिशन की राशि जल्द मिल जाती है लेकिन पंजाब के विभागों में काम करने वाले लोगों को पे-कमिशन की राशि समय पर नहीं मिलती।
स्लैब में बदलाव से ही मिलेगी राहत
पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर संजीव कुमार का कहना है कि नौकरीपेशा लोगों को राहत देने के लिए आयकर स्लैब में बदलाव की जरूरत है। ढाई से पांच लाख रुपये तक की आय को कर से मुक्त रखा जाए। ऐसा होगा तो बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलेगी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सकेंगे।