किसान संगठन अपना भला- बुरा खुद सोचें
नवांशहर कृषि सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे विधेयक अब राज्य सभा से भी पारित हो गए हैं।
जयदेव गोगा, नवांशहर: कृषि सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे विधेयक अब राज्य सभा से भी पारित हो गए हैं। अब किसानों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इनका विरोध करने से पहले यह जरूर देखें व परखें कि नई व्यवस्था से उन्हें नुकसान होने की जो बातें की जा रही है, उनमें कितनी सच्चाई है। भाजपा की जिला प्रधान पूनम माणिक ने कहा कि केंद्र ने किसानों को उद्यमी बनाने और उनकी आदमी बढ़ाने व उनके जीवन की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक जरूरी कदम बढ़ाया है। भारतीय कृषि की वास्तविक संभावनाओं को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सराहना के हकदार हैं।
वरिष्ठ नागरिक शिव कुमार तेजपाल का कहना है कि किसान संगठनों को भी अपनी बात रखने का पूरा-पूरा हक है। किसानों के साथ सभी हैं, लेकिन उन्हें इस बारे में खुद अपना नफा नुकसान सोचना चाहिए। किसी भी आंदोलन को कड़ा रुख देने से पहले एक बार कृषि सुधारों और उनसे संबंधित विधेयकों को अच्छी तरह समझने की कोशिश जरूर करनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता ललित कुमार शर्मा ने बताया कि अकाली दल अभी भी किसान विरोधी बिल लाने वाली भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का अटूट अंग बना हुआ है। उससे यह स्पष्ट करना चाहिए कि भाजपा-अकाली दल अलग-अलग है या अभी भी साथ-साथ हैं। अकाली कार्यकर्ता पूर्व पार्षद परम सिंह खालसा ने कहा कि कांग्रेस कृषि विधेयकों का समर्थन करने वाली शिव सेना सरकार को महाराष्ट्र में समर्थन दे रही है। शिव सेना ने कृषि विधेयकों का समर्थन किया है। इसलिए कांग्रेस को महाराष्ट्र में शिव सेना को दिया गया समर्थन वापस लेना चाहिए।