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पशोपेश में किसान, अदायगी कैसे होगी पता नहीं

जिले की दाना मंडियों में गेहूं की सरकारी खरीद भले ही हो रही है पर किसानों यही नहीं पता कि उनकी फसल की अदायगी कैसे होगी

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:55 PM (IST)
पशोपेश में किसान, अदायगी कैसे होगी पता नहीं
पशोपेश में किसान, अदायगी कैसे होगी पता नहीं

जागरण संवाददाता, नवांशहर :

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जिले की दाना मंडियों में गेहूं की सरकारी खरीद भले ही हो रही है पर किसानों यही नहीं पता कि उनकी फसल की अदायगी कैसे होगी। इस बारे में कोई भी कुछ बताने को तैयार नही है। वहीं, किसानों का आरोप है कि आढ़तियों की ओर से फसल को खरीदने से पहले ब्लैंक चेक मांगे जा रहे हैं। इसे लेकर किसान दुविधा में है कि वो आढ़तियों को ब्लैंक चेक क्यों दें। दूसरी ओर जिला मंडी बोर्ड के अधिकारी स्वर्ण सिंह ने बताया कि किसानों को सीधी अदायगी की जाएगी। आनलाइन ही खरीद की जा रही है व आन लाइन ही जे फार्म व आइ फार्म जेनरेट किए जा रहे हैं।

समझ में नहीं आ रहा कानून

किसान बलविदर सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से लाया गया कानून उसे समझ में नहीं आ रहा है। क्योंकि हमारी फसल कट चुकी है और उसे लेकर हम मंडी में आ चुके हैं, लेकिन हमें अभी तक यह पता नहीं कि चल पा रहा है कि हमें पैसे कब और किस माध्यम से मिलेंगे।

आढ़तियों खाली चेक क्यों दें

किसान जरनैल सिंह किशनपुरा ने कहा कि पिछले साल तो आढ़तियों द्वारा उनके आधार कार्ड और बैंक खाता नंबर मांगे गए थे। इस बार आढ़ती हमसे खाली चेक भी मांग रहे हैं। हम चैक क्यों दें। चैक तो सरकार को आठ दिन में हमारे देने चाहिए।

पैसे कब मिलेंगे यह कोई नहीं बता राह

किसान मनविदर सिंह उड़ापड़ ने कहा कि किसान आढ़तियों से मालूम करते हैं कि हमारी फसल का क्या रेट है और हमें पेमेंट कैसे मिलेगी। इसपर आढ़ती गेहूं का खरीद रेट तो बता देते हैं, लेकिन पैसे कब मिलेंगे, इस बारे में न तो आढ़ती कुछ बताते हैं और ना ही खरीद में लगे लोग।

फूट डालने का काम कर रही है सरकार : वालिया

आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान मनजिदर सिंह वालिया ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा थोपे जा रहे कृषि कानूनों की वजह से जो भाईचारा आपस में किसानों और आढ़तियों का था, उसमें फूट डालने का काम किया है और जो कृषि कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए हैं। उसका अभी तक न प्रशासन को पता है। खास बात यह है कि प्रशासन को भी इन कानूनों के परचेज के बारे में कुछ नहीं पता। अन्नदाता का सोना मंडियों में आ चुका है और अभी तक प्रशासन ने बारदाने का भी इंतजाम नहीं किया। 16 अप्रैल को प्रशासन द्वारा टेंडर भरने के लिए आदेश जारी किए हैं।


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