स्वयं में स्थित होना ही स्वस्थ रहने का मूल : अरीहरण
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान नंवाशहर ने सलोह रोड मॉडल टाउन पार्क नंवाशहर में नैतिक विकास के योग शिविर का आयोजन किया।
जेएनएन, नवांशहर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान नंवाशहर ने सलोह रोड मॉडल टाउन पार्क नंवाशहर में नैतिक विकास के योग शिविर का आयोजन किया। इस अवसर पर संगत को संबोधित करते हुए स्वामी अरीहरण ने बताया कि मानव मन की आरोग्यता ही मनुष्य के तन की आरोग्यता का मूल है। भारत के अनुभवी स्वास्थ्यविदों के अनुसार मनुष्य की ज्यादातर बीमारियों का कारण इंसान का मन ही है और मन के स्तर पर उपजी जीवन की समस्याओं का निराकरण भी मन के स्तर पर उतरकर कर ही किया जा सकता है। जो योग के मूल आत्मयोग को प्राप्त करके ही किया जा सकता है। स्वामी जी ने बताया की वैदिक योग पद्धति भी इस तथ्य को स्वीकार करती है कि स्वस्थ शब्द दो शब्दों से मिल कर बना शब्द है। स्व+स्थ अर्थात स्वयं में स्थित होना ही स्वस्थ रहने का मूल है। बाह्य यौगिक क्रियाओं द्वारा जहां तन को स्वस्थ रखा जाता है, वहीं ब्रह्मज्ञान से प्राप्त ध्यान साधना की क्रिया से मन स्वस्थ रहता है। जोकि मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन व सामाजिक जीवन के लिए अति लाभप्रद है। स्वामी जी ने सभी को सूर्य नमस्कार, वीरभद्रासन, अनुलोम विलोम, प्राणायाम, कपोल शक्ति, विकासक प्राणायाम, चक्षु व्यायाम इत्यादि क्रियाओं का विधिवत अभ्यास करवाते हुए इनके शारीरिक लाभों से भी परिचित करवाया।
संस्कृति के संरक्षण का सामूहिक संकल्प लिया
कार्यक्रम में मौजूद सारी संगत ने अंत में धरती मां का रक्षण करने के लिए फसलों की नाड़ न जलाने, नशा न करने, चरित्र निर्माण, जल संरक्षण, पौधरोपण कर प्रकृति ओर संस्कृति का संरक्षण करने का सामूहिक संकल्प भी लिया। शिविर का संपूर्ण लाभ प्राप्त करते हुए तथा कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए संस्थान का हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।