इंसान के लिए महापुरुषों की वाणी दीपक की तरह
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा राहों रोड स्थित गोमतीनाथ मंदिर में सत्संग करवाया गया।
जेएनएन, नवांशहर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा राहों रोड स्थित गोमतीनाथ मंदिर में सत्संग करवाया गया। साध्वी वत्सला भारती ने कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महापुरुषों की वाणी इंसान के लिए दीपक की तरह है, जिसकी रोशनी में इंसान हर क्षेत्र में अच्छे मुकाम हासिल कर सकता है। महापुरुषों ने हमारे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और अध्यात्मिक विकास को मुख्य रखते हुए हमें जीवन के हर पहलु से अवगत करवाया। कई बार किसी मानव का चितन बहुत ऊंचा चला जाता है और कई बार किसी मानव का चितन बहुत नीचे गिर जाता है। कई बार इंसान नकारात्मक विचारों के विषय में ही सोचता है और कई बार चिता का ही चितन करता रहता है। असल में इंसान को चितन की परिभाषा के बारे में ही पता नही है। जिस कारण वह हमेशा ही निराशा के आलम में घिरा रहता है। आज हम संसार की और नजर दौड़ाकर देखें तो प्रत्येक मानव बुरे चितन की आग में झुलस रहा है। वह दूसरे को पछाड़ कर आगे निकलना चाहता है, चाहे इसके लिए किसी भी सीमा को क्यों न पार करना पड़े। भाई कन्हैया के शुभ चितन में कितनी पवित्रता थी कि उनको अपने दुश्मनों में भी अपने सतगुरु के दर्शन हो रहे थे। लेकिन आज स्वार्थ के अधीन होकर हमें अपने भाई में दुश्मन नजर आने लग जाता है। इसलिए हमें ऐसे ही शुभ चितन को अपने जीवन में लेकर आना है, जिससे हम भी अपने और समाज के कल्याण के लिए अपना योगदान दे सकें। इस अवसर पर साध्वी मोनिका भारती ने भजनों का गायन किया।
हमेशा इंसानियत के भले के लिए ही सोचते हैं महापुरुष
साधवी जी ने आगे कहा कि महापुरुषों का चितन संसारिक लोगों से भिन्न होता है। क्योंकि वह जब भी सोचते है शुभ ही सोचते है। इंसानियत के भले के लिए ही सोचते है। जहां इंसान चिता को चितन समझने की भूल कर बैठता है वहीं पर महापुरुषों के चितन में चिता का हरण करने वाले प्रभु ही होते है। संसारिक चितन को हम चितन की परिभाषा दे सकते है, लेकिन जो चितन प्रभु की ओर लेकर जाता है उसे शुभ चितन के नाम से पुकारा जाता है।