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खुद की मेहनत व मां की तपस्ता से बेटियों ने पाया मुकाम

च्चे ने जो मेहनत कर टॉप किया वह काबिल-ए-तारीफ है। उसकी इस मेहनत के पीछे मां का हाथ सबसे अधिक होता है। बच्चे के सुबह उठने स्कूल जाने ट्यूशन जाने उसके हर समय खाने सब चीजों का ध्यान मां ही रखती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 11:44 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 11:44 PM (IST)
खुद की मेहनत व मां की तपस्ता से बेटियों ने पाया मुकाम
खुद की मेहनत व मां की तपस्ता से बेटियों ने पाया मुकाम

जागरण संवाददाता, नवांशहर : बच्चे ने जो मेहनत कर टॉप किया वह काबिल-ए-तारीफ है। उसकी इस मेहनत के पीछे मां का हाथ सबसे अधिक होता है। बच्चे के सुबह उठने, स्कूल जाने, ट्यूशन जाने, उसके हर समय खाने सब चीजों का ध्यान मां ही रखती है। उसकी प्लानर, डॉक्टर, डायटीशियन, मोटीवेटर सब वही होती है। बच्चा अगर छह घंटे पढ़ता है तो उसके पीछे मां को अपने 10 से 12 घंटे देने पड़ते हैं। उसकी उपलब्धि सीधे मां की त्याग से जुड़ी होती है। ऐसे ही बढि़या नंबर लेने वाले विद्दार्थियो की प्राप्तियों के पीछे उनकी मां का हाथ होता है। नाम- कोमल सिंह

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पिता का नाम-हरमिदर सिंह(किसान)

माता का नाम-कमलजीत कौर(गृहणी)

केसी पब्लिक स्कूल नवांशहर के छात्र कोमल सिंह ने दसवीं कक्षा में 95.2 प्रतिशत अंक लेकर स्कूल में टॉप किया है। कोमल सिंह का कहना है कि स्कूल में वो मन लगा कर पढ़ाई करता था। स्कूल में पढ़ाई करने के बाद वो घर आकर कम से कम चार घंटे जरूर पढ़ता था। कोमल ने कहा कि माता पिता के आशीर्वाद से उसने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं। कोमल ने कहा कि वो बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता है।

सुबह चार बजे उठाती थी मां

कोमल की मां कमलजीत कौर ने कहा कि उनके पति किसान है। वो दोनों चाहते हैं कि उनका बेटा पढ़ लिख कर उनका नाम रौशन करे। सुबह चार बजे वो ही कोमल को उठाती थी ताकि वो सुबह के समय भी पढ़ाई कर सके। इसके बाद स्कूल जाते समय टिफिन बनाने के साथ सुबह के समय बच्चे के कपड़े प्रेस करना व स्कूल आते ही अच्छा भोजन तैयार करना भी उनकी दैनिक गतिविधियों में शामिल रहा है। --नाम-आर्ची शर्मा

पिता का नाम-नीरज शर्मा

मां का नाम-सोनाली शर्मा

आएमवी डीएवी सैनेटेनरी पब्लिक स्कूल नवांशहर

आएमवी डीएवी सैनेटेनरी पब्लिक स्कूल नवांशहर की दसवीं की छात्रा आर्ची शर्मा ने दसवीं कक्षा में 92.2 प्रतिशत अंक हासिल किया है। आर्ची बड़ी होकर एसर स्पेस विज्ञानी बनना चाहती है। आर्ची कहती है कि उसके नाना व नानी दोनों केमेस्ट्री में पीएचडी हैं और मां डीएवी स्कूल की प्रिसीपल सोनाली शर्मा खुद केमेस्ट्री से हायर एजुकेटेड हैं। आर्ची ने कहा कि साईंस में रूचि उसे बचपन में ही थी। स्कूल से घर आने के बाद चार घंटे की पढ़ाई करती थी।

-आर्ची की मां सोनाली शर्मा कहती हैं की जॉब पर जाने वाली माताओं की डयूटी दोगुणा बढ़ जाती है। अब जब वो स्कूल में प्रिसिपल के पद पर कार्य करती हैं तो उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। सुबह खुद जल्दी उठना व बच्चों को उठाना,उनको भी तैयार करना और खुद भी तैयार होना। स्कूल शुरू होने से पहले वो खुद भी पहुंचती थी और अपनी बेटी को भी साथ लेकर आती थी। स्कूल बंद होने के बाद भी काफी देर काम करती थी तो बेटी स्कूल में ही होती थी और अपना स्कूल वर्क वहीं पर पूरा कर लेती थी। नाम-कशिश मारकंडा

पिता का नाम-राजीव कुमार

माता का नाम-प्रेमलता

आएमवी डीएवी सैनेटेनरी पब्लिक स्कूल नवांशहर

आएमवी डीएवी सैनेटेनरी पब्लिक स्कूल नवांशहर स्कूल की छात्रा कशिश मारकंडा ने दसवीं की कक्षा में 95.2 प्रतिशात नंबर लेकर स्कूल व अपने अभिभावकों का नाम रोशन किया है। कशिश का कहना है कि वो बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहती है। कशिश कहती है को वो अपनी माता को अपना आदर्श मानती है। उसके पिता व माता दोनो अध्यापक हैं। दोनो की प्रेरणा के कारण ही वो अच्छा प्रदर्शन कर पाई है। उसने कहा कि उसका सपना है कि वो बड़ा हो इंजीनियर बने। इसके लिए वो 11वीं कक्षा में जाते ही तैयारियां शुरू कर देगी। -कशिश की मां प्रेमलता ने बताया कि उनकी बेटी काफी होनहार है। वो खुद गढ़शंकर के एक स्कूल में अध्यापक है। कामकाजी महिला के लिए बच्चों को पालने के साथ काम भी करने से उनकी डयूटी डबल हो जाती है पर जब बच्चा अच्छे नंबरों से पास होता है तो एक तसल्ली होती है कि उनकी मेहनत रंग लाई है। उन्होंने बताया कि पूरा परिवार अध्यापकों का है तो बच्चों पर भी पढ़ाई करने का जुनुन सवार होता है।


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