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निमोनिया से बचाने के लिए 25 से बच्चों को लगेगी वैक्सीन

सेहत विभाग जिलावासियों के लिए खुश खबर लेकर आया है। सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर के नेतृत्व में सेहत विभाग न्यूमोकोकल कंजूगेट वैक्सीन (पीसीवी) की शुरुआत करने जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 09:57 PM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 09:57 PM (IST)
निमोनिया से बचाने के लिए 25 से बच्चों को लगेगी वैक्सीन
निमोनिया से बचाने के लिए 25 से बच्चों को लगेगी वैक्सीन

जागरण संवाददाता, नवांशहर : सेहत विभाग जिलावासियों के लिए खुश खबर लेकर आया है। सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर के नेतृत्व में सेहत विभाग न्यूमोकोकल कंजूगेट वैक्सीन (पीसीवी) की शुरुआत करने जा रहा है। ये वैक्सीन बच्चों को न्यूमोकोकल निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारी से सुरक्षा प्रदान करेगी। न्यूमोकोकल बीमारी सेहत के लिए एक बड़ा खतरा है। यह न्यूमोकोकल निमोनिया का एक बड़ा कारण है। भारत में न्यूमोकोकल निमोनिया से साल 2010 में एक लाख से अधिक और साल 2015 में पचास हजार से अधिक बच्चों की मौत हुई थी।

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सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर ने बताया कि नियमित टीकाकरण प्रोग्राम के तहत बच्चों को पीसीवी लगाने के लिए सभी प्रबंध मुकम्मल कर लिए गए हैं। सेहत ब्लाक नवांशहर, बलाचौर, मुजफ्फरपुर, मुकंदपुर, सड़ोआ और सुज्जों के टीकाकरण अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दे दिया गया है। इससे पहले यह वैक्सीन केवल प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध थी। पीसीवी का टीका प्राइवेट सेक्टर में एक महंगा टीका है, परन्तु अब सेहत विभाग की तरफ से 25 अगस्त से नियमित टीकाकरण अभियान के तहत पीसीवी का टीका बच्चों को सभी सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त लगाया जाएगा। जिले को पीसीवी वैक्सीन 2000 खुराकें भी प्राप्त हो गई हैं। निमोनिया बच्चों की मौत का बड़ा कारण

सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर ने बताया पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का एक बड़ा कारण निमोनिया है। यह टीकाकरण बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए लाभकारी होगा। पीसीवी के टीको की तीन खुराकें लगाई जाएंगी। पीसीवी पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावशाली टीका है। पीसीवी की 2 प्राथमिक और एक बूस्टर डोज होगी। पहली खुराक एक से डेढ़ महीने के बीच, दूसरी खुराक साढ़े तीन महीने और बूस्टर खुराक 9 महीने पूरे होने पर दी जानी है। पीसीवी टीकाकरण न सिर्फ टीकाकरण करवाने वाले बच्चों को बचाएगा। बल्कि निमोनिया की बीमारी के और बच्चों में फैलने के खतरे को कम करेगा।


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