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हाथों में कलम थमाकर देश के भविष्य को बनाना होगा रोशन

देश के भविष्य को सरकार हमेशा अनदेखा कर देती है और हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 11:11 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 06:16 AM (IST)
हाथों में कलम थमाकर देश के भविष्य को बनाना होगा रोशन
हाथों में कलम थमाकर देश के भविष्य को बनाना होगा रोशन

वासदेव परदेसी, नवांशहर : देश के भविष्य को सरकार हमेशा अनदेखा कर देती है और हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाती है। बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं, बाल अपराधों में वृद्धि हो रही है, भीख मांगते हुए तथा बाल मजदूरी करने के लिए मासूम मजबूर हैं। जिला प्रशासन ने भी बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं हैं। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर भीख मांगने वाले बच्चों की तादाद भी बढ़ रही है। शहर के कई ढाबों, रेहड़ियों, घरों तथा कामकाजी स्थानों पर मासूम काम करने के लिए मजबूर हैं। इसका सबसे बड़ा कारण गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा है। इन बच्चों के माता-पिता अपनी परेशानियों में बच्चों को ढाल बना लेते हैं। प्रशासन मूक दर्शक बनकर ऐसे हालातों को और बढ़ावा देता है। इस समस्या और बाल अधिकारों को लेकर समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों ने अपने विचार पेश किए। उन्होंने सरकार से बाल अधिकारों के हनन को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की। बच्चों से करवाई जा रही बाल मजदूरी : जसवंत सिंह

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किसान जसवंत सिंह का कहना है कि आज बच्चों से बाल मजदूरी करवाई जा रही है। रेहड़ी, ढाबे और रेस्टोरेंटों में बच्चों से किसी समय भी काम करवाते देखा जा सकता है। यह काम करना बच्चों की मजबूरी है। बच्चों से 12 घंटे काम लिया जाता है। प्रशासन व सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इस बुराई को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए, ताकि बच्चों का भविष्य अच्छा बन सके। बच्चों को शिक्षित करके ही देश के भविष्य को संवारा जा सकता है। बच्चों से मंगवाई जा रही भीख

जागृति कला केंद्र के प्रधान रूपलाल धीर का कहना है कि बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन तथा शहर के सभी बाजारों में बच्चे भीख मांगते आम दिखाई दे रहे हैं। भीख मांगने वाले बच्चों की आयु पढ़ाई करने की है, लेकिन उनके हाथों में कटोरे थमाकर भीख मंगवाई जा रही है। हर बच्चे स्कूल जाने का अधिकार है, लेकिन संबंधित विभाग इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा जबकि देश का भविष्य तभी संवरेगा जब देश के भविष्य यानि बच्चों को शिक्षा प्राप्त होगी। सुरक्षा के लिए टोल फ्री नंबर पर करें सूचित

पूर्व सरपंच रघुवीर सिंह का कहना है कि बच्चों के साथ कुकर्म की घटनाएं घट रही हैं जिससे हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। बच्चों के साथ कुकर्म करने वाला यह नहीं देखता कि वो लड़का है या लड़की। बच्चों के साथ हो रहे अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में सुरक्षा के लिए 1038 टोल फ्री नंबर भी उपलब्ध है। बच्चों के लिए अन्य कानून के साथ साथ पोक्सो एक्ट भी बना हुआ है। जरूरत है तो इन अधिकारों को लेकर जागरूक होने की। बच्चों को कुपोषण से बचाने की जरूरत

पार्षद परम सिंह खालसा का कहना है कि पूरी दुनिया में पांच साल से कम उम्र का हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है। भारत में 50 फीसद बच्चे कुपोषित हैं, जिनको पेट भर भोजन भी नहीं मिलता। बच्चों में पोषण की कमी का सीधा प्रभाव उनके शरीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। जिससे दिमाग का पूर्ण विकास नहीं हो पाता। बच्चे देश का धन होती हैं, इस धन को संभालने के लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत है।


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