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राष्ट्रीय लोक अदालत में 608 मामलों का किया निपटारा

नवांशहर जिला एवं सेशन जज-कम-चेयरमैन जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी शहीद भगत सिंह नगर कंवलजीत सिंह बाजवा के नेतृत्व में शनिवार को जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई गई। इस दौरान छह बैंचों की तरफ से 1450 मामलों में से 608 मामलों का दोनों पक्षों की सहमति के साथ मौके पर निपटारा किया गया। इसके तहत 100378290 रुपये के अवार्ड सुनाए गए। यह जानकारी सीजेएम-कम-सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी हरप्रीत कौर ने दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 10:10 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 10:10 PM (IST)
राष्ट्रीय लोक अदालत में 608 मामलों का किया निपटारा
राष्ट्रीय लोक अदालत में 608 मामलों का किया निपटारा

जागरण संवाददाता, नवांशहर

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जिला एवं सेशन जज-कम-चेयरमैन जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी शहीद भगत सिंह नगर कंवलजीत सिंह बाजवा के नेतृत्व में शनिवार को जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई गई। इस दौरान छह बैंचों की तरफ से 1450 मामलों में से 608 मामलों का दोनों पक्षों की सहमति के साथ मौके पर निपटारा किया गया। इसके तहत 10,03,78,290 रुपये के अवार्ड सुनाए गए। यह जानकारी सीजेएम-कम-सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी हरप्रीत कौर ने दी है।

उन्होंने बताया कि इस दौरान मामलों की सुनवाई के लिए नवांशहर में पांच और बलाचौर में एक बैंच लगाया गया। इस दौरान जिला जज फैमिली कोर्ट अशोक कपूर, अतिरिक्त जिला एवं सेशन जज रणधीर वर्मा, चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट जगबीर सिंह मेहंदीरत्ता, सिविल जज (जूनियर डिवीजन) लवलीन संधू, सिवल जज (जूनियर डिवीजन) कविता और सब डिवीजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बलाचौर बलविदर कौर धालीवाल द्वारा विभिन्न मामलों का सहमति के साथ निपटारा किया गया।

इनके साथ सदस्य के तौर पर एडवोकेट सपना जगी, अनिल कटारिया, अमरदीप कौशल, प्रवेश कपूर, एमपी नैयर, असलमजीत सिंह चाहल, संतोख सिंह बंगड़, सुखराज कौर, शमशेर सिंह, जश्नदीप, दिनेश भारद्वाज और मनदीप सिंह उपस्थित थे।

उधर, जिला एवं सेशन जज कंवलजीत सिंह बाजवा ने बताया कि लोक अदालत का मुख्य मनोरथ समझौते/राजीनामे के द्वारा अदालती मामलों का फैसला करवाना है। जिससे संबंधित पक्षों का धन और समय बचाने साथ-साथ उनकी आपसी दुश्मनी भी घटाई जा सके। उन्होंने बताया कि गंभीर किस्म के फौजदारी मामलों को छोड़ कर हर तरह के केस, जो अलग-अलग अदालतों में लंबित पड़े हों, को लोक अदालत में फैसले के लिए शामिल किया जाता है। जो झगड़ा अदालत में न चलता हो, परंतु मुकदमेबाजी से पहले के पड़ाव (प्री-लिटीगेशन) पर हो, उसे भी लोक अदालत में अर्जी देकर राजीनामे के लिए लाया जा सकता है।


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