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नवांशहर में 191 किसानों ने जलाई पराली, सिर्फ छह पर केस हुए दर्ज, पराली जलाने वालों पर सरकार व प्रशासन की कार्रवाई ढीली

पिछले साल सरकारी रिकार्ड के अनुसार 250 पराली जलाने के केस आए थे। इस साल अभी तक जिले में 199 केस सामने आ चुके हैं। इससे प्रदूषण का स्तर 250 से अधिक हो गया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 05:51 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 05:51 PM (IST)
नवांशहर में 191 किसानों ने जलाई पराली, सिर्फ छह पर केस हुए दर्ज, पराली जलाने वालों पर सरकार व प्रशासन की कार्रवाई ढीली
नवांशहर में 191 किसानों ने जलाई पराली, सिर्फ छह पर केस हुए दर्ज, पराली जलाने वालों पर सरकार व प्रशासन की कार्रवाई ढीली

जागरण संवाददाता,नवांशहर : जिला प्रशासन कोरोना के कारण किसानों को पराली न जलाने के लिए लगातार जागरूक कर रहा है। इसके लिए कृषि विभाग ने लगातार सेमिनार लगाए, लेकिन कुछ किसानों पर ही इसका असर हुआ। पिछले साल सरकारी रिकार्ड के अनुसार 250 पराली जलाने के केस आए थे। इस साल अभी तक जिले में 199 केस सामने आ चुके हैं। इससे प्रदूषण का स्तर 250 से अधिक हो गया था। पिछले दिन अगर बारिश न होती तो प्रदूषण का स्तर 250 एआइक्यू के आसपास ही रहता। वहीं सरकारी रिकार्ड के अनुसार 199 किसानों ने पराली को आग लगाई है। सूत्र बताते हैं कि आंकड़ा इससे कहीं अधिक है। वहीं सरकार व प्रशासन ने भी पराली जलाने वालों पर ढील बरती। यही कारण है कि 199 में से केवल छह किसानों के खिलाफ ही मामले दर्ज किए गए हैं।

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बढ़ने लगे कोरोना के मरीज

पराली के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं कोरोना के समय में पराली का वातावरण में जहरीला धुआं लोगों के लिए सांस लेने में दिक्कत ला सकता है। यही कारण है कि कोरोना के मरीज फिर बढ़ने लगे हैं। कहा जा रहा है कि जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने का कारण पराली को आग लगाना भी है, क्योंकि पराली के धुएं के कारण कोरोना के मरीज की सांस लेने की तकलीफ बढ़ जाती है। वहीं जहां पिछले साल कोरोना की बीमारी न होने के बाद भी सांस के मरीजों के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। वहीं कोरोना के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने सांस के मरीजों के लिए कोई इंतजाम नही किए हैं।

99 केसों में से 86 लोगों के चालान काटे

वहीं, कृषि विभाग ने पराली जलाने के 199 केसों में से 86 लोगों के चालान काटे हैं। इनसे 2 लाख 22 हजार 500 रुपये जुर्माना वसूला जा चुका हैं। इसके अलावा 19 लोगों के फर्द में लाल एंट्री की गई है। वहीं पुलिस की ओर से मात्र छह एफआईआर ही दर्ज की गई है।

पिछले वर्ष की तुलना में इस साल कमी जली पराली

जिला मुख्य कृषि अधिकारी डा.राजकुमार का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल कम लोगों ने पराली को आग लगाई है। कम पराली को आग लगाने के क्रम में जिला शहीद भगत सिंह नगर पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर आया है, जबकि पठानकोट पहले स्थान पर है। जहां पूरे पंजाब के जिलों के तुलना में पराली को आग लगाने की सबसे कम घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा किय यह सब लोगों के लिए चलाए गए जागरूकता अभियान के कारण ही संभव हो सका है।

यह है पराली जलाने के नुक्सान

एक टन पराली जलाने से 1513 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड, 92 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 3.83 किलो नाइट्रस आक्साइड, 0.4 किलो सल्फर डाइआक्साइड और 2.7 किलोग्राम मीथेन हवा में घुलती है। इस कारण सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है।


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