श्रवण, कीर्तन और मनन प्रभु प्राप्ति के मार्ग : स्वामी कमलानंद
श्श्रीरम भवन में कार्तिक महोत्सव पर स्वामी कमलानंद गिरि ने प्रवचनों की अमृतवर्षा की।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी कमलानंद गिरि ने प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहा कि गंगाजल को जो पानी समझकर प्रयोग करता है उसको पानी के गुण मिलते हैं। जो गंगाजल को अमृत और भगवान के चरणों का चरणोदक समझ कर सेवन करता है उसके लिए मां गंगा हर मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली हो जाती हैं। महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि ने ये विचार श्रीराम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के दौरान शनिवार को श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने मां गंगा जी की उत्पत्ति और सतयुग से लेकर आज तक मां गंगा के द्वारा किए जा रहे महान उपकारों की चर्चा सुनाते हुए उपस्थित भक्त समूह को भाव-विभोर कर दिया।
स्वामी जी ने बताया कि श्रवण, कीर्तन और मनन प्रभु प्राप्ति के महा साधन हैं। कलियुग में परमात्मा को पाने के तीन यही महा साधन हैं। पहला कानों के द्वारा भगवान के गुणों और लीलाओं का श्रवण करना, दूसरा वाणी द्वारा सदा प्रभु नाम का जाप करना और तीसरा मन के द्वारा उन्हीं के स्वरूप का मनन करना। यदि व्यक्ति सदा यह तीन साधन करता रहे तो उसे शीघ्र ही परम तत्व का बोध हो सकता है और भगवान के दर्शन हो जाते हैं।
गुरु जी के जन्म महोत्सव पर हुआ बधाईगान भी श्री राम भवन में कार्तिक महोत्सव तहत गुरु जी के 61वें जन्म महोत्सव को लेकर बधाई गान का आयोजन भी हुआ। इसमें प्रवक्ता रमन जैन ने बधाई गान किया और श्रद्धालु गुरु वंदना करते हुए भजनों की गंगा में मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे। इस मौके मंदिर को रंग-बिरंगे गुब्बारों व फूलों से सुंदर ढंग से सजाया गया था। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर गुरु जी को जन्म महोत्सव की बधाईयां दीं और आशीर्वाद प्राप्त किया।