ईश्वर की कामना रखें जो जन्म-मरण के कुचक्र से कर दे मुक्त : स्वामी कमलानंद
श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित स्वामी कमलानंद गिरि ने कार्तिक माह की महिमा बताई।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी ने प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहा कि एक क्षण वह आएगा जब मित्र, स्त्री एवं सभी परिवार के लोग व सुख-भोग के साधन, धन, मकान, वाहन, आदि संपत्तियां कुछ भी नहीं रहेंगी। न हम, न तुम न यह, कुछ भी नहीं रहेंगे। न हमें उनका पता रहेगा। न हम उनको मिल सकेंगे, न वह हमें मिल सकेंगे। मानव पहले अपरिचित अंधकार-पूर्ण स्थान से आया और सब-कुछ छोड़ कर वहीं ही चला जाएगा। कामनाएं ही मानव को गर्त में गिरा देती है। कामना ही रखनी है तो उस ईश्वर की रखो जो जन्म और मरण के कुचक्र से सदा के लिए मुक्त कर दे। महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी ने ये विचार श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के दौरान शुक्रवार को श्रद्धालुओं को कहे। स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष की जड़ में पानी देने पर फल जड़ पर नहीं ऊपर टहनियों पर लगते हैं उसी प्रकार इस धरती लोक पर जो कुछ भी कर्म किए जाते हैं, उन कर्मों का फल परलोक में (यानी कि ऊपर) प्राप्त होता हैं। स्वामी ने कहा कि सतयुग में सभी तीर्थों का प्रभाव रहता है। द्वापर में कुरुक्षेत्र का और कलयुग में गंगा जी का विशेष महत्व है। चारों युगों में गंगा मां प्रत्यक्ष महाशक्ति है। इनसेट
कार्तिक माह में करें ब्रह्मचर्य का पालन
स्वामी कमलानंद ने कहा कि कार्तिक माह सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस माह किए गए सद्कर्म अनंत गुणा फलदायी होते हैं। इस माह मनुष्य को रोजाना ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का जाप करना चाहिए। जो भक्त इस माह भगवान विष्णु की भजन-बंदगी करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। श्रद्धालुओं को इस माह लह्सुन व प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए। इस माह तुलसी पूजन व तुलसी सेवन करने का विशेष महत्व है। यूं तो हर समय तुलसी पूजन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, मगर कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुणा अधिक माना गया है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। इस माह भूमि पर सोने का विधान भी है। माना गया है कि भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है। कार्तिक माह में ब्रह्मचर्य का अवश्य पालन करना चाहिए।