सुखी जीवन के लिए चित्त प्रसन्न रखें
घर को स्वर्ग बनाने के लिए व्यक्ति को परस्पर बहस से बचना चाहिए।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
घर को स्वर्ग बनाने के लिए व्यक्ति को परस्पर बहस से बचना चाहिए । घरेलू झगड़े हमेशा बहस से ही प्रारंभ होते है। हमारे यहां नवग्रह माने गए हैं लेकिन बहस दसवां ग्रह है जिससे सारी दुनिया पीड़ित है। बहस के साथ आक्रोश आता है आक्रोश के पीछे पीछे गाली आती है और गाली से भी यदि प्रोग्राम पूरा नहीं हुआ तो मारामारी हो जाती है। यदि चित शांत रखना है तो बहस से बचें।
लोगों को बहस इतनी प्यारी है कि छोटी-छोटी बातों पर भी बहस करते रहते हैं जैसे चाय में चीनी कितनी डालनी चाहिए इस बात को लेकर भी बहस हो जाती है। धर्म प्रयोग में कम है बहस में ज्यादा है। धर्म की क्रिया अनुष्ठान सिद्धांतों को लेकर भी व्यक्ति बहस करता रहता है। उसी बहस का परिणाम है जो धर्म एक होते हुए भी इतने संप्रदायों में गुटों में विभाजित हो जाता है। यह विचार पंजाब सिंहनी प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा के प्रांगण में श्रद्धालुओं से कहे।
उन्होंने कहा कि अगर सुखी जीवन जीना चाहते हो चित को प्रसन्न रखना होगा। आज वातावरण ही दूषित नहीं है इंसान का चित भी प्रदूषित हो चुका है। आज जितनी पर्यावरण की अशुद्धता की चिता है उससे ज्यादा चिता चित के प्रदूषण को मिटाने की भी होनी चाहिए। चित्त को प्रसन्न रखने के लिए छोटी-छोटी बातों को महत्व नहीं देना चाहिए। दिमाग बहुमूल्य है। डस्टबीन नहीं है। इसमें बड़े-बड़े कार्यों की प्लानिग भरे। छोटी-छोटी बातों का कचरा न है। दूसरा अपना काम स्वयं करें । जीवन में स्वामलबी बने। दूसरे पर निर्भर रहने वाला कभी सुखी नहीं होता है। जीवन में काम ज्यादा करें लेकिन बोले कम।
इस अवसर पर प्रवीण जैन, रमेश जैन, धर्मवीर जैन, विजय कुमार जैन, दर्शन राम, बिहारी लाल जैन, लाली गगनेजा, सुनील गोयल, हरमेश कुमार सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।