रैन बसेरे में आठ साल में रुके मात्र तीन लोग
सरकार द्वारा बनाई गई योजना अगर सही तरीके से लागू हो तो लोगों को फायदा होता है।
संदीप मलूजा, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
सरकार द्वारा बनाई गई योजना अगर सही तरीके से लागू हो तो आमजन को इसका भारी फायदा होता है। लेकिन अगर योजना में कुछ कमी रह जाए या फिर योजना पर पहले होम वर्क न हो तो यह योजना मात्र सफेद हाथी ही बनकर रह जाती है। ऐसा ही हाल है, फायर ब्रिगेड दफ्तर में बने रैन बसेरा का। इस रैन बसेरे को बने तो आठ साल हो चुके है लेकिन इसमें अब तक मात्र तीन लोगों ने है रात्रि विश्राम किया है।
जरूरतमंद लोग सम्मान के साथ रहें व ठंड के कारण किसी की मौत न हो इसके लिए रात को स्टेशन, बस स्टैंड पर खुले में सोने वाले लोगों के लिए ही सरकार द्वारा रैन बसेरे बनाए गए। नगर कौंसिल द्वारा भी साल 2012-13 में फायर ब्रिगेड की इमारत में रैन बसेरा बनाया गया। इस पर 45 हजार रुपये खर्च किए गए थे व चार बेड लगाए गए थे। लेकिन इन आठ सालों में इस रैन बसेरे में मात्र तीन लोगों ने रात्रि विश्राम किया। इतने कम लोगों दारा इस रैन बसेरे में रात ना गुजरने का बड़ा कारण इस रैन बसेरे का रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड से करीब दो किलोमीटर दूर होना है जिस कारण रात के समय यात्रियों का इस रैन बसेरे का पूरा फायदा नहीं मिल सका। जिस कारण ही रिक्शा चालक व अन्य यात्री लोग रात के समय खुले आसमान तले ही सोने को मजबूर हैं। अब इस रैन बसेरे की हालत खस्ता हो चुकी है, इमारत के अंदर वाले दरवाजे, खिड़कियां टूट चुकी है, नहाने का बाथरूम खस्ता हाल ही चुका है, दीवारों का भी बुरा हाल है। अगर यही रैन बसेरा स्टेशन या फिर बस स्टैंड के पास बनाया जाता तो रात के समय खुले आसमान तले सोने वाले लोगों व यात्रियों को फायदा होता। अब यह रैन बसेरा तो मात्र सफेद हाथी ही बनकर रह गया है। इनसेट
स्टेशन व बस स्टैंड के पास नहीं मिली जगह : ईओ
नगर कौंसिल के ईओ जगसीर सिंह धारीवाल ने बताया की आमजन के लिए है यह रैन बसेरा बनाया गया था। हमारे पास स्टेशन व बस स्टैंड के पास कोई सरकारी जगह न होने के कारण ही इसे फायर ब्रिगेड वाली इमारत में यह रैन बसेरा बनाना मजबूरी थी। अगर हम स्टेशन या फिर बस स्टैंड के पास जगह मिली तो इस रैन बसेरे को वहां पर बना दिया जाएगा। एक बार इस रैन बसेरे को साफ व अच्छी इमारत में लाने पर विचार हो रहा है।