बैठक रही बेनतीजा, धरना रखेंगे जारी
पुराने पोस्ट आफिस में बनी सेठ ठाकर दास आहूजा मेमोरियल पार्किग को लेकर गतिरोध बना है।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
पुराने पोस्ट आफिस में बनी सेठ ठाकर दास आहूजा मेमोरियल एडवर्डगंज पब्लिक पार्किंग वाली जगह पर लोहे कि चादरें लगाकर बूथ नुमा दुकान बनाने का आस पास के दुकानदारों द्वारा पार्किंग बचाओ संघर्ष कमेटी द्वारा धरना शुक्रवार दसवें दिन भी जारी रहा।
शहर की इस पब्लिक पार्किंग वाली जगह पर कुछ समय पहले लोहे कि चादरे लगाकर बूथ नुमा दुकान बनी है। आसपास के दुकानदारों द्वारा इस बूथ का विरोध करते हुए बीते 11 नवंबर से धरना दिया जा रहा है। वीरवार को इस जगह पर स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब लोहे की चादरें लगाकर बूथ बना है उस जगह का किरायेदार ने ईंट से पक्की उसरी करने के लिए मिस्त्री लगा दिए। आसपास के दुकानदारों ने इकट्ठा होकर इसका भारी विरोध किया। दुकानदारों का साथ देने के लिए पूर्व विधायक हरप्रीत सिंह, यूथ अकाली दल के जिला प्रधान लप्पी, भाजपा मंडल प्रधान मुकेश जग्गा, आप के परमजीत गिल, रमेश, पूर्व सीएमओ डा. गुरजंट सेखों, मास्टर सुदर्शन जग्गा के इलावा अन्य गणमान्य लोग भी आ गए। जिस कारण पुलिस बल भी मौके पर मौजूद रही।
उन्होंने बताया कि इस मसले के हल के लिए उनकी एडवर्डगंज सोसायटी के आगुओ से बैठक तो हुई लेकिन यह बैठक बेनतीजा ही रही। उन्होंने बताया हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
शुक्रवार को दुकानदार प्रदीप सोनी, सोनू, विशाल मल्होत्रा, सुधीर ढींगरा, पवन अरोड़ा, कुलदीप, वरुण खेड़ा, विपिन सोनी, अमनदीप राठौर, गुलशन, सुभाष चलाना आदि ने बताया कि शहर में बढ़ रही ट्रैफिक समस्या को देखते हुए लोगों की सहूलियत के लिए 2010-11 में यह पार्किंग इस संस्था के संस्थापक सेठ ठाकर दास आहूजा के नाम पर बनी हुई है। अब इस पब्लिक पार्क में लोहे की चादरें लगाकर दुकान नुमा बूथ बना दिया गया। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले हमें बताया गया की पार्किंग में बने चबूतरे पर काफी शाप बनाई जा रहे है। हमें लगा कि काफी शाप कांच के शीशों की होगी कोई बात नहीं, लेकिन इस चबूतरे पर लोहे की चादरें लगाकर एक दुकान नुमा बड़ा बूथ बना दिया। जिसका दुकानदारों ने भारी विरोध किया था, तब इस बूथ को बंद कर दिया गया था लेकिन अब इसको कोई खोलना चाहता है। उन्होंने बताया कि इस दुकान नुमा बूथ बनने के बाद ग्राहकों को हमारी दुकानें दिखाई नहीं देती। पहले ही मंदी की मार छेल रहे दुकानदारों की दुकानदारी तो अब पूरी तरह से चौपट होकर रह गई है।