पंजाबी के विख्यात कहानीकार गुरदेव रुपाणा का देहांत
पंजाबी के विख्यात कहानीकार गुरदेव रुपाणा का रविवार को निधन हो गया।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब
पंजाबी के विख्यात कहानीकार गुरदेव रुपाणा का रविवार की शाम को निधन हो गया। करीब 85 वर्षीय गुरदेव रुपाणा पिछले करीब एक माह से चेस्ट इंफेक्शन से पीड़ित थे। उनके निधन पर साहित्य जगत में शोक की लहर है। जिले के गांव रुपाणा के निवासी गुरदेव रुपाणा ने पंजाबी साहित्य जगत को 16 पुस्तकें दी हैं। इसमें छह कहानी संग्रह, चार उपन्यास व अन्य पुस्तकें शामिल हैं। उनकी पुस्तकों को पंजाबी अकादमी नई दिल्ली, भाषा विभाग पंजाब से शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार, कुलवंत सिंह यादगारी अवार्ड, पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना से करतार सिंह धालीवाल अवार्ड, इंटरनेशनल पंजाबी लिटरेरी ट्रस्ट कनाडा से अंतरराष्ट्रीय मनजीत कौर यादगारी अवार्ड, पंजाबी अकेडमी अमेरिका से रणधीर सिंह पुरस्कार, पंजाबी अकेडमी नई दिल्ली से पंजाबी गलप पुरस्कार, माता तेज कौर यादगारी अवार्ड, बलराज साहनी यादगारी अवार्ड, दलबीर चेतन पुरस्कार, कनाडा से ढाहा पुरस्कार उनकी पुस्तकों को मिल चुके हैं।
बीते वर्ष उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड हासिल हुआ था। उनकी कहानियों और उपन्यासों का हिदी, तेलगू और अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी शीशा कहानी तथा गोरी व जलदेव उपन्यास चर्चित रहे हैं। गुरदेव रुपाणा मरहूम शायरा अमृता प्रीतम के बहुत करीब रहे हैं। उन्होंने नई दिल्ली में सरकारी अध्यापक के तौर पर नौकरी की। सेवानिवृति के बाद वापस गांव आकर रहने लगे थे। गुरदेव रुपाणा अपने पीछे पत्नी और दो बेटे छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार दोपहर करीब सवा 12 बजे उनके गांव रुपाणा स्थित श्मशानघाट में किया गया।
इस मौके पर साहित्यकार डा. परमजीत सिंह धींगड़ा, भूपिदर कौर प्रीत, गुरसेवक सिंह प्रीत, कुलवंत गिल, पंजाब कला परिषद की ओर से निदर घुगियानवी आदि मौजूद थे। जिला प्रशासन की तरफ से अंतिम संस्कार के मौके पर कोई दिखाई नहीं दिया।