कार्तिक माह में तुलसी आराधना की विशेष महिमा: पं. जोशी
कार्तिक का प्रमुख कृत्य तुलसी वन पालन है। वैसे तो कार्तिक में ही नहीं हर मास में तुलसी का सेवन कल्याणमयी कहा गया है।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब:कार्तिक का प्रमुख कृत्य तुलसी वन पालन है। वैसे तो कार्तिक में ही नहीं हर मास में तुलसी का सेवन कल्याणमयी कहा गया है। लेकिन कार्तिक में तुलसी आरधना की विशेष महिमा है। यह जानकारी गांव खुंडज में कार्तिक माह के उपल्क्षय में बृह्मऋषि उत्तांचलवासी सनातन धर्म प्रचारक कथावाचक पं. पूरन चन्द्र जोशी ने दी।
पं.जोशी ने कहा कि एक और आर्युवैदिक शास्त्र में तुलसी को रोग हर कहा गया है और दूसरी ओर यमदूतो के भय से मुक्ति प्रदान करती है। तुलसी वन पर्यावरण की शुद्धि के लिए भी लाभकारी है। हमारे शास्त्रों में संत्रास से मुक्ति दिलाने के लिए कई उपाय निर्दिष्ट है। उनमें कार्तिक मास के स्नान वर्त की अत्यंत महिमा बताई गई है और बताया गया है कि इस मास का स्नान वर्त लेने वालो को कई सयंम, नियमों का पालन करना चाहिए तथा श्रद्धा पूर्वक भगवान की अराधना करनी चाहिए। कार्तिक के पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में किसी नदी, तालाब, नदी या पोखर में स्नान कर भगवान की पूजा की जाती है।
पं. जोशी ने कहा कि वैसे तो पूरे कार्तिक मास में दान देने का विधान है। कही कही तो अक्ष्यनवमी के दिन मेला भी लगता है। कार्तिक मास कई अर्थो में अन्य माहों से अधिक महत्तव रखता है। उन्होने बताया कि सकंदपुराण के वैष्णव खंड में कार्तिक व्रत के महत्तव के विषय में कहा गया है। इस मास को जहां रोग विनाशक कहा गया है वहीं सदबुद्धि प्रदान करने वाला लक्ष्मी का साधक तथा मुक्ति प्रदान करने वाला कहा गया है।