बंटवारे में उजड़ा था परिवार, बेटों के नाम रखे भारत-पाकिस्तान
भारत-पाक बंटवारे और फिर 1984 के दंगों में उजड़ चुका गुरमीत सिंह का परिवार अब तीसरी बार ऐसा संताप नहीं झेलना चाहता। उन्होंने एक बच्चे का नाम भारत और दूसरे का नाम पाकिस्तान रखा है।
श्री मुक्तसर साहिब [सुभाष चंद्र]। भारत-पाक बंटवारे के 70 साल बाद भी दोनों मुल्कों के रिश्तों में कड़वाहट है। इस नफरत की आग से आहत होकर मलोट के लकड़ी के कारीगर गुरमीत सिंह दुनिया को अनूठी सीख दे रहे हैं। पहले भारत-पाक बंटवारे और फिर 1984 के दंगों में उजड़ चुका गुरमीत सिंह का परिवार अब तीसरी बार ऐसा संताप नहीं झेलना चाहता। इसलिए उसने सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश देने के लिए अपने बड़े बेटे का नाम भारत (12) और छोटे बेटे का नाम पाकिस्तान (10) रख दिया है।
यही नहीं दो साल पहले खोली दुकान का नाम भी भारत-पाकिस्तान वुड वक्र्स रख दिया है। लोग इसका राज गुरमीत से पूछते हैं तो अचंभित हो जाते हैं। कुछ मजाक उड़ाते हैं, तो कुछ सोच को सलाम करते हैं। गुरमीत कहते हैं कि वैसे भी भारत-पाकिस्तान दोनों भाई हैं। दोनों को अब मिलकर रहना चाहिए।
फाजिल्का-नई दिल्ली एचएच पर मलोट के दानेवाला चौक पर वर्षों पुरानी एक छोटी सी दुकान भारत-पाकिस्तान वुड वक्र्स दुकान लोगों को ध्यान खींच लेती है। 47 वर्षीय गुरमीत सिंह तीन-चार कारीगरों के साथ खिड़कियां व दरवाजे बनाते हैं। गुरमीत बताते हैं कि उनके दादा-दादी बंटवारे में पाकिस्तान के गांव रत्ती टिब्बी (शेखूपुरा) से हांसी आए थे। 1984 के दंगों में उनका परिवार हांसी से भी उजड़ गया। इसके बाद वे मलोट में रहने आए। जब वह यहां आए तो उनकी उम्र 11 साल थी।
मनोज कुमार की फिल्मों से लिया बड़े बेटे का नाम
गुरमीत ने बड़े बेटे का नाम मनोज कुमार की फिल्मों से लिया। कई फिल्मों में मनोज कुमार का नाम भारत ही था। 2005 में उसके घर बेटे का जन्म हुआ तो उसका नाम भारत सिंह रखा। 2007 में दूसरे बेटे का जन्म हुआ तो एक दोस्त ने उसका नाम पाकिस्तान रखने की सलाह दी। मां और रिश्तेदारों ने आपत्ति जताई, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया। दोनों बेटे अलग-अलग स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ते हैं। स्कूल में भी दोनों का यही नाम है। छोटे बेटे के नाम पाकिस्तान होने पर एक बार स्कूल वालों ने भी एतराज जताया था। एक रात को एसएचओ उनकी दुकान का नाम देखकर गया और अगले दिन पूछताछ करने लगा।
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