सड़क पर घूम रहे पशु लोगों के लिए जानलेवा
शहर में लावारिस पशुओं का आतंक कोई आम बात नहीं है। यह आतंक बीते समय से इतना बढ़ गया है कि हर कोई पशुओं को देखकर घबरा जाता है।
सरबजीत सिंह, श्री मुक्तसर साहिब
शहर में लावारिस पशुओं का आतंक कोई आम बात नहीं है। यह आतंक बीते समय से इतना बढ़ गया है कि हर कोई पशुओं को देखकर घबरा जाता है। शहर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जहां पर यह लावारिस पशु घूमते हुए दिखाई न दे। कुछ हिस्सों में तो इनकी संख्या इतनी अधिक होती है कि लोग बाहर निकलने से भी घबराते हैं। जिला प्रशासन द्वारा इनका हल करने के लिए कुछ समय के लिए मुहिम भी चलाई गई थी, लेकिन यह मुहिम बीस दिन के बाद ही ठप होकर रह गई। उसके बाद किसी ने भी इस मुहिम की ओर ध्यान नहीं दिया।
किस रोड पर रहते हैं अधिक लावारिस पशु
वैसे तो शहर की हर रोड पर लावारिस पशु घूमते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन सबसे अधिक माल गोदाम रोड, सब्जी मंडी, बस स्टैंड के पास, बूड़ा गुज्जर रोड, गोनियाना रोड पर सबसे अधिक पशु होते हैं। अब तो कोटकपूरा रोड पर डीसी की रिहायश के पास भी लावारिस पशुओं ने डेरा जमा रखा है। यहां पर इनकी संख्या इस कदर होती है कि जब यह आपस में भिड़ जाते हैं तो सभी की बस करवा देते हैं। फिर चाहे इन पर किसी हथियार से वार करते रहो यह किसी की परवाह नहीं करते।
चार व्यक्तियों की हो चुकी है मौत
लावारिस पशुओं के कारण चार व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। जिनमें कोटकपूरा रोड बाइपास पर पंप के समक्ष जीप में बैठे अबोहर रोड के व्यक्ति को लावारिस पशु ने घायल कर दिया था। जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इसी तरह करीब एक वर्ष पहले नामदेव नगर के एक व्यक्ति की लावारिस पशु की ओर से घायल करने के कारण मौत हुई थी। इसके अलावा अबोहर रोड पर दुकान खोलते समय लावारिस पशु ने पीछे से हमला कर देने के कारण दुकानदार की भी मौत हो चुकी है। बठिडा रोड नहरी कालोनी के पास भी टक्कर मार देने के कारण बरकंदी निवासी एक व्यक्ति की मौत हुई थी। जबकि घायलों की तो संख्या ही नहीं है। घायल की घटनाएं तो सप्ताह में एक दो होती ही रहती हैं।
चलाई गई मुहिम भी नहीं कर पाई हल
तत्तकालीन डीसी डॉ. सुमीत जारंगल ने शहर से लावारिस पशुओं का हल करने के लिए गांव रत्ता टिब्बा में बनी गोशाला में इन्हें छोड़ने का प्रबंध किया गया था। जिसके लिए उन्होंने बठिडा से रिकवरी वैन भी मंगवाई थी। जिसके माध्यम से गोसेवा दल व मुक्तिसर वेलफेयर क्लब की ओर से 220 पशुओं को गोशाला में छोड़ा गया था। इन्हें छोड़ने के लिए यूनियन से ट्रक लिया जाता था। जिन्हें डीसी दफ्तर की ओर से अदायगी की जाती थी। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही बठिडा नगर कौंसिल ने अपनी वैन वापस ले ली और यह मुहिम वहीं पर ठप होकर रह गई। उसके बाद फिर से मौजूदा डीसी एमके अराविद कुमार ने भी इन्हें गोशाला भेजने का काम शुरू किया। लेकिन फिर से किसी ने गोशाला में पशुओं की उचित संभाल न होने के संबंध में पशु मंत्री के पास शिकायत कर दी। जिससे यह मुहिम बिलकुल ठप हो गई।
हल करने को तैयार लेकिन मिले साधन
मुक्तिसर वेलफेयर क्लब के प्रधान जसप्रीत छाबड़ा का कहना है कि उन्हें यदि रिकवरी वैन मिले तो वह खुद अपने साथियों समेत लावारिस पशुओं का हल करने को तैयार हैं। जबकि एडवोकेट कदंबनी अरोड़ा का कहना है कि प्रशासन इनका हल ही नहीं करना चाहता। यदि वह चाहे तो इसका हल हो सकता है, लेकिन वह गोसेस समेत अन्य पैसे को गाय पर खर्च ही नहीं रहा है। आधे विभागों को तो इसका ज्ञान ही नहीं है कि उनके पास गोसेस कहां से आता है।