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आइएसएफ कालेज में तीसरे नवरात्र पर मां चंद्रघंटा का पूजन

आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी के प्रांगण स्थित बने मां दुर्गा मंदिर में पंडित रामचन्द्र कौशिक की अगुआई में चेयरमैन प्रवीण गर्ग ने पूजा की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 10:03 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 10:03 PM (IST)
आइएसएफ कालेज में तीसरे नवरात्र  पर मां चंद्रघंटा का पूजन
आइएसएफ कालेज में तीसरे नवरात्र पर मां चंद्रघंटा का पूजन

संवाद सहयोगी,मोगा

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आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी के प्रांगण स्थित बने मां दुर्गा मंदिर में पंडित रामचन्द्र कौशिक की अगुआई में चेयरमैन प्रवीण गर्ग, सचिव इंजी. जनेश गर्ग, डा. मुस्कान गर्ग, डायरेक्टर डा.जीडी गुप्ता व वाइस प्रिसिपल डा. आरके नारंग ने मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की।

इस दौरान पंडित जी ने मंत्रोच्चारण के बीच नवग्रह पूजन और गणेश पूजन पूरे विधिविधान के साथ संपन्न करवाया। उन्होंने कहा कि नवरात्र का पावन पर्व देश भर में मनाया जा रहा है। नवरात्र का तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अ‌र्द्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं।

डायरेक्टर डा.जीडी गुप्ता ने कहा कि अष्टमी पर मां दुर्गा की उपासना करके कंजन पूजन किया जाएगा। उन्होंने सभी को नवरात्र की शुभकामनाएं दी। तृतीय नवरात्र पर करवाया हवन-यज्ञ देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट में तीसरे नवरात्र पर हवन-यज्ञ करवाते हुए पंडित सुनील कुमार शास्त्री ने कहा कि मनुष्य का जीवन 100 वर्षों तक चलने वाला एक यज्ञ ही है। इसका एक नाम शत संवत्सर है। वेदों के मूल वाक्यों को पढ़ने से यह समझ में आता है।

उन्होंने बताया कि वेद उपनिषद शास्त्र मनन करने के ग्रंथ हैं। इनके विषय भी माननीय हैं। यह संपूर्ण जगत घटनाओं का एक निरंतर प्रवाह है। इस प्रवाह में एक घटना दूसरी घटना से आगे बढ़ती चली जा रही है। सब जगह गति है, प्रवाह है। क्या जगत प्रवाह मात्र है। प्रवाह के अतिरिक्त यह कुछ नहीं। तब वेद शास्त्र उपनिषद कहते हैं यह संपूर्ण प्रवाह परब्रह्म ओम पिता परमात्मा से अनुप्राणित है। उससे आवासित है उस से ढका हुआ है। समस्त जगत को जननी जगदंबा, परांबा ईश्वर के साथ हृदय के साथ संबंध बनाना चाहिए। उसमें अपनी आस्था व विश्वास को व्यक्त करो। आज के इस महायज्ञ में मुख्य यजमान इंद्रपुरी, ताराचंद कांसल एवं रानी कांसल, सुखविदर संधू, गीता संधू, किरण संधू, राजीव गुप्ता, इंद्रपाल पलता, गायकों ने मधुर भजन सुनाए। इसके उपरांत विश्व शांति की कामना की गई।


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