पुरुषोत्तम मास की एकादशी व्रत पर करें नारायण लक्ष्मी का पूजन
वर्ष में जितने भी एकादशी व्रत होते हैं अगर कोई भी एकादशी व्रत आप नहीं रख पाए तो पुरुषोत्तम मास की पुरुषोत्तमा एकादशी का व्रत करें।
तरलोक नरूला, मोगा : वर्ष में जितने भी एकादशी व्रत होते हैं अगर कोई भी एकादशी व्रत आप नहीं रख पाए तो पुरुषोत्तम मास की पुरुषोत्तमा एकादशी का व्रत करें। अधिकमास या पुरुषोत्तम मास में आने के कारण इस एकादशी को पुरुषोत्तमा एकादशी नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को अधिक मास को एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। यह तीन वर्ष के बाद इस एकादशी का व्रत करने का सौभाग्य कम ही मिल पाता है। यह एकादशी 13 अक्टूबर मंगलवार को है। पंडितों का कहना है कि इस व्रत को हम सबके लिए लाभदायक है
श्री कृष्णा मंदिर के पुजारी हरि ओम शर्मा ने कहा कि एकादशी व्रत 13 अक्टूबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा। यह एकादशी परम पावन है। मान्यता है कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु व लक्ष्मी को अति प्रिय है। जो भी व्यक्ति एकादशी की तिथि को व्रत रखता है वह भगवान विष्णु के प्रिय भक्तों में आता है। अक्षय शर्मा ने बताया कि अधिक मास की एकादशी भक्तो को परम सुख देने वाली मानी गई है। जो लोग कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का व्रत रखते है उन्हें पुण्य फल मिलता है। उन्होंने कहा कि पुरुषोत्तम मास में पुरुषोत्तम एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यह तीन वर्ष के बाद आई है।
वैष्णो दुर्गा मंदिर के पुजारी माहीपाल शास्त्री का कहना है कि यह व्रत तेज वृद्धि के लिए होता है। एकादशी तिथि के दिन सूर्य व गणेश जी की उपासना कर व्रत को आरंभ करे । अन्न का ग्रहण न करें। फलाहार ही खाएं। अगले दिन गणेश जी को मीठे चावल व लड्डुओं का भोग लगाकर व्रत को खोलें। पूजा करते समय एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करे। प्राचीन श्री सनातन धर्म हरि मंदिर के पुजारी पवन गौड़ ने बताया कि इस एकादशी का महात्म्य बारह महीने की चौबीस एकादशी के व्रत से ज्यादा महत्वपूर्ण है।