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संक्रमितों के अंतिम संस्कार में शव के साथ कोविड नियम भी हो रहे हैं 'राख'

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मरीज की मौत के साथ ही अंतिम संस्कार में केवल शव ही नहीं जल रहे कोविड नियम भी राख हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 11:05 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 11:05 PM (IST)
संक्रमितों के अंतिम संस्कार में शव के साथ कोविड नियम भी हो रहे हैं 'राख'

राजकुमार राजू.मोगा

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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मरीज की मौत के साथ ही अंतिम संस्कार में केवल शव ही नहीं जल रहे, कोविड नियम भी 'राख' हो रहे हैं। संक्रमित की मौत के बाद शव मथुरादास सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में सामान्य शवों के साथ रखा जा जा रहा है। सात घंटे के इंतजार के बाद संक्रमित का शव कोविड नियमों के पालन की हिदायत देकर परिवार को सौंपकर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है।

इस संबंध में सिविल सर्जन डा.अमरप्रीत कौर का कहना है कि उनकी जिम्मेदारी कोरोना से मौत के मामले में संबंधित एसडीएम को सूचना देना है जो नियमित रूप से दे जी रही है। एसडीएम निहालसिंह वाला राम सिंह का कहना है कि अंतिम संस्कार डाक्टरों की टीम जाकर करवाती है, इसमें उनका क्या काम है। कोविड नियमों के प्रति गंभीर लापरवाही का ये मामला उस समय सामने आया जब लगातार शिकायतों के बाद दैनिक जागरण की टीम ने दो संक्रमितों की मौत से लेकर अंतिम संस्कार तक की पड़ताल की तो प्रशासन का कोरोना मृतकों के प्रति बेहद असंवेदनशील रवैया सामने आया। केस.1

निहालसिंह वाला निवासी 79 साल के अजीत सिंह को 16 मई को कोरोना संक्रमित होने पर मोगा मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक जून को कोरोना के चलते उनकी मौत हो गई। अस्पताल ने तत्काल इसकी सूचना प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को दे दी। मौत के बाद शव मथुरादास सिविल अस्पताल में भेज दिया गया। बुधवार को शव परिवार को सौंप दिया गया। मृतक अजीत सिंह के बेटे सतपाल सिंह ने बताया कि वह दो हजार रुपये देकर प्राइवेट एंबुलेंस से पिता के शव को ले गए। पीपीई किट खुद एंबुलेंस चालक व अपने लिए खरीदकर लाए थे। पोस्टमार्टम हाउस में अन्य रिश्तेदार भी मौजूद थे। शाम को चार बजे के करीब अंतिम संस्कार कर दिया गया। सतपाल के अनुसार अंतिम संस्कार में प्रशासन का स्वास्थ्य विभाग का कोई भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। दैनिक जागरण ने मृतक का स्वजन बनकर इस संबंध में नायब तहसीलदार दीपक शर्मा से कोविड नियमों को लेकर प्रशासन की मदद को लेकर बात की तो उन्होंने कहा सब परिवार के लोग ही करेंगे, हमने थोड़े ही मार दिया है, उनसे हुई बातचीत की पूरी रिकार्डिंग दैनिक जागरण के पास मौजूद है। केस-2

निहालसिंह वाला तहसील के ही गांव भागीके निवासी 42 वर्षीय पूरन चंद को बीमार होने पर मथुरादास सिविल अस्पताल में 30 मई को भर्ती कराया गया है। कोरोना टेस्ट पाजिटिव आया तो उन्हें उसे लेवल-2 वार्ड में रखा गया था, जहां मंगलवार रात को उनकी मौत हो गई। मृतक के बेटे रंजीत कुमार ने बताया कि उनके पिता मजदूरी करते थे। दस दिन पहले बीमार होने पर उसे अस्पताल में लेकर आए थे। रंजीत कुमार ने बताया कि शव देने के लिए सात घंटे तक कोरोना प्रोटोकाल की प्रक्रिया पूरी करने व शव को हैंड ओवर करने की प्रक्रिया के बाद उन्हें शव मिला, खुद गांव ले जाकर अंतिम संस्कार करवाया, प्रशासन का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। न ही किसी प्रकार की मदद मिली, शव अपने साधन से लेकर गए।

क्या है पोस्टमार्टम हाउस का हाल

पोस्टमार्टम हाउस में एक ही फ्रिजर है। उसी में कोरोना संक्रमित व सामान्य शव रखे जाते हैं, वहीं पर सामान्य शव के साथ आए लोगों का आना जाना रहता है। उसके पास ही चिकित्सक पोस्टमार्टम करते हैं। कोरोना संक्रमित शव रखने के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।

क्या है कोविड नियम

संक्रमित की मौत होने पर संबंधित अस्पताल से सूचना संबंधित एसडीएम को दी जाती है। एसडीएम, तहसीलदार या नायब तहसीलदार के स्तर पर शव परिवार को देने का आदेश जारी किया जाता है। उसके बाद शव परिवार को नियमों के पालन की हिदायत देकर सौंपा जाता है। साथ ही अंतिम संस्कार के समय प्रशासनिक अधिकारियों के रूप में एसडीएम, तहसीलदार या नायब तहसीलदार अपनी मौजूदगी में संस्कार करवाते हैं, इसके पीछे मकसद ये होता है कि नियमों के उल्लंघन की वजह से संक्रमण दूसरे लोगों तक न पहुंचे।


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