सिविल अस्पताल में सड़क हादसे में घायल दो मरीज उपेक्षा का शिकार
मोगा सिविल अस्पताल मोगा में भले ही लोगों को बेहतर सेहत सेवाएं देने के वादे किए जा रहे हैं। फिर भी किसी न किसी मामले में अस्पताल प्रशासन की अनदेखी नजर आती है। ऐसा ही मामला शनिवार को उस समय सामने आया जब गत सोमवार को बाइपास पर घायल पड़े दो लोगों सिविल अस्पताल में उपेक्षा का शिकार होते देखा गया। बता दें कि उक्त दोनों घायलों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे कहां के हैं।
संवाद सहयोगी, मोगा
सिविल अस्पताल मोगा में भले ही लोगों को बेहतर सेहत सेवाएं देने के वादे किए जा रहे हैं। फिर भी किसी न किसी मामले में अस्पताल प्रशासन की अनदेखी नजर आती है। ऐसा ही मामला शनिवार को उस समय सामने आया, जब गत सोमवार को बाइपास पर घायल पड़े दो लोगों सिविल अस्पताल में उपेक्षा का शिकार होते देखा गया। बता दें कि उक्त दोनों घायलों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे कहां के हैं। उनहें समाज सेवा सोसायटी द्वारा अस्पताल में सोमवार को भर्ती कराया गया था। इसके बाद इमरजेंसी में भले ही दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया, लेकिन उसके बाद उन्हें बेहतर सेहत सेवाएं नहीं मिलीं और उन्हें पुराने इमरजेंसी विभाग में शिफ्ट किया गया है। यहां पर भी स्टाफ द्वारा उन्हें प्राथमिक उपचार देने की बात कही जा रही है। मगर, उक्त लोगों के पास केयरटेकर न होने के चलते वे अपना मलमूत्र बेड पर ही कर रहे हैं। इसके अलावा उनके जख्मों में कीड़े तक पड़ने लगे है।
गौर रहे कि सड़क हादसे में घायल उक्त युवकों को सिर्फ अपना नाम नारायण व पंकज ही याद है। पुलिस ने उक्त लोगों को हादसे का शिकार बनाने वाले वाहन की जांच करने समेत इनके परिजनों का पता लगाना भी शुरू किया है। मगर, अभी तक कुछ पता नहीं चला है। ऐसे में सड़क हादसे में घायल पंकज व नारायण को तीन दिनों तक इमरजेंसी विभाग में रखा हुआ था। शुक्रवार सायं इन्हें पुरानी इंमरजेंसी में विभाग शिफ्ट किया गया। जहां पर डयूटी पर तैनात स्टाफ उनको प्राथमिक सेवाएं दे रही थी। उधर, शनिवार को दोनों मरीजों को लेकर इलाज में कोताही देखने को मिली। इस दौरान उक्त दोनों मरीजों के जख्मों पर कीड़े घूमते नजर आए। वहीं इनके आसपास मलमूत्र पड़ा था।
इस बारे में जब जब मीडिया ने एसएमओ डॉ. राजेश अत्री से संपर्क किया, तो ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने इन्हें प्राथमिक उपचार दिया।
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मानसिक स्थिति ठीक नहीं
एसएमओ डॉ. राजेश अत्री ने बताया कि उक्त दोनों मरीज लावारिस हैं। इस बारे में पुलिस व समाज सेवी संस्था को भी जानकारी दी गई है। इनकी पूरी देखभाल की जा रही है। मगर, ये मरीज मानसिक तौर पर ठीक नहीं है। इसके कारण ये अपने कपड़े और जख्म का प्लास्टर खुद खोल देते हैं। फिर भी अस्पताल के एक डॉक्टर का ड्यूटी लगाई हुई है, जो इन दोनों की देखभाल कर रहा है।