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बाल आयोग व स्कूल की पीटीएम में उठा मामला न अधिकारी आए हरकत में न स्कूल हुए गंभीर

फोटो-30 28 52 53 54 55 56 57 58 नियमों की धज्जियां उड़ाकर हर रोज शहर की सड़कों पर दौड़ती हैं स्कूल बसें

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 11:03 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 11:03 PM (IST)
बाल आयोग व स्कूल की पीटीएम में उठा मामला न अधिकारी आए हरकत में न स्कूल हुए गंभीर
बाल आयोग व स्कूल की पीटीएम में उठा मामला न अधिकारी आए हरकत में न स्कूल हुए गंभीर

सत्येन ओझा/राजकुमार राजू, मोगा : स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को ले जाने की शिकायतें 26 अक्टूबर को मोगा में राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग की अदालत में आयोग के सदस्य डॉ.आरजी आनंद व रोजी ताषा के पास पहुंची थीं, सेक्रेट हार्ट स्कूल के मैनेजमेंट व प्रिसिपल को भी लिखित में स्कूल बसों में बच्चों के साथ हो रहे अन्याय व खामियों की लिखित शिकायत की गई थी। इसके बावजूद न अधिकारी इस मामले में गंभीर दिखे, न ही स्कूल प्रबंधन।

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वीरवार को सेक्रेट हार्ट स्कूल की जो बस हादसाग्रस्त हुई थी, उस टैंपो ट्रैवलर में 12 सीटें थी, लेकिन उसमें 40 बच्चे सवार थे। बस में छात्राएं थीं, लेकिन महिला अटेंडेंट नहीं थी। स्कूल बस पर न स्कूल का नाम लिखा था न ही वह नियमानुसार पीले रंग की थी।

गौरतलब है कि 26 अक्टूबर को मोगा में राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के समक्ष ये मामला आने पर आयोग की सदस्य रोजी ताषा ने इस मामले का गंभीर संज्ञान लेते हुए डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस को तत्काल स्कूल बसों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। डीसी ने भी बैठक में डीईओ सेकेंडरी व डीईओ प्राईमरी के साथ ट्रांसपोर्ट विभाग का काम संभाल रहे सभी एसडीएम को निर्देश दिए थे कि स्कूल बसों की सख्ती से जांच करवाई जाए और नियमों की अनदेखी करने वाले व क्षमता से ज्यादा बच्चों को ले जाने वाली बसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

आयोग के संज्ञान लेने के बाद से अब तक नौ दिन हो चुके हैं, न तो किसी एसडीएम ने किसी स्कूल बसों की चेकिग की, न ही डीईओ सैकेंडरी व डीईओ प्राइमरी के स्तर पर चेकिग की गई। ऐसे में स्कूल प्रबंधन बच्चों से तो हर महीने मोटी राशि ले रहे हैं, लेकिन नियमानुसार स्कूल बसों में जो सुविधा होनी चाहिए उपलब्ध ही नहीं करवाई जा रही है। 90 प्रतिशत स्कूल बसों में महिला अटेंडेंट ही नहीं होती है। शायद ही कोई बस हो जिसमें निर्धारित से ज्यादा बच्चे सवार न हों। ये सब हर दिन शहर के प्रमुख सड़कों पर अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर किया जाता है।

बसों पर स्कूल का नाम तक गायब

वीरवार को न्यू टाउन की गली नं.9 से गिल पैलेस की तरफ जाने वाले स्टेडियम रोड पर शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल की बसें लाइन से खड़ी थीं, किसी भी स्कूल बस पर स्कूल का नाम तक नहीं लिखा था। यही बसें सुबह शाम बच्चों को लाने ले जाने का काम करती हैं।

यही स्थिति मेन बाजार से आर्य स्कूल रोड पर खड़ी स्कूल बस का था, बेहद खस्ताहाल स्कूल बस उस पर सिर्फ छोटे अक्षरों में स्कूल बस लिखा था, किस स्कूल की बस है, कुछ अंकित नहीं था। बस की हालत भी बेहद खस्ताहाल थी।

--- दो साल से पीटीएम में उठा रहे हैं मामला

सेक्रेट हार्ट स्कूल में यूकेजी में पढ़ रही बच्ची के पिता सुखमिदर सिंह संधू ने कहा कि स्कूल बसों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को बैठाने, महिला अटेंडेंट न होने के मुद्दे को 2017-18 से लगातार स्कूल की पीटीएम में उठाते आ रहे हैं। हर बार स्कूल की तरफ से आश्वासन मिला लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। 14 मार्च 2019 को उन्होंने लिखित में मेल के माध्यम से भी व्यक्तिगत रूप से भी इसी मुद्दे पर शिकायत की, लेकिन स्कूल ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। हारकर उन्होंने ये मामला राष्ट्रीय बाल अघिकार सरंक्षण आयोग के सामने भी उठाया, आयोग ने मामले का संज्ञान तो लिया, लेकिन कार्रवाई फिर भी नहीं हुई। बच्चों के बैठने के लिए भी नहीं होती जगह : अभिभावक

सेक्रेट हार्ट स्कूल के बच्चों के अभिभावक नेहा, सलोनी, विकास, सुमन, गुरप्रीत सिंह, विजय बंसल का कहना है कि स्कूल बसों में जिस प्रकार से नियमों की अनदेखी की जा रही है, बच्चे जब तक सुरक्षित घर नहीं पहुंच जाते हैं, उन्हें भय का माहौल बना रहता है। कई बार तो स्कूल बसों में बच्चों को बैठने तक की जगह नहीं मिलती है, मुश्किल से बच्चे बैठ पाते हैं। महिला अटेंडेंट तो होती ही नहीं हैं, जबकि सरकार ने इसे अनिवार्य बना दिया है।

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स्कूलों का समय बदले प्रशासन : इंटक

जिला इंटक ने डीसी संदीप हंस से मांग की है कोहरा शुरू होने के कारण स्कूलों के समय में तब्दीली की जाए। ताकि सुबह के समय दूर-दूर गांवों से शहर में आने वाले बच्चे हादसों से बच सकें। जिला इंटक प्रधान विजय धीर एडवोकेट ने कहा है कि यदि स्कूल 8:30 या 8:45 पर सुबह के समय लगते हैं, तो स्कूल बस वाले उन्हें दूर दराज गांवों से सुबह 6:30 तथा 7:30 बजे तक लेने पहुंच जाते हैं। उस समय धुंध पड़ रही होती है। स्कूल समय में तब्दीली करने की मांग करने वालों में जिला इंटक अध्यक्ष एडवोकेट विजय धीर, महासचिव दविन्द्र सिंह जौड़ा, प्रदेश यूथ इंटक महासचिव प्रवीण कुमार शर्मा, प्रदेश कांग्रेस सचिव अशोक कालिया, श्री ब्राह्मण सभा पंजाब के जिलाध्यक्ष प्रदीप भारती, अशोक वर्मा, अध्यक्ष रिटायर्ड पटवारी/कानूनगो वेलफेयर एसोसिएशन आदि शामिल थे। सुनें क्या कहते हैं अधिकारी

डीईओ सैकेंडरी जसपाल सिंह औलख से जब पूछा गया कि जब राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की बैठक में स्कूल बसों में अनियमितताओं की शिकायत के बाद उन्हें इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा गया था, उसके बाद आज तक कितनी बसों को चेक किया, कितनी बसों के मामले में कार्रवाई हुई। इस सवाल के जबाव में डीईओ बोले इसके लिए तो रोड सेफ्टी कमेटी बनी हुई है, वही चेकिग करती है, उनका विभाग भी रुटीन चेकिग करता है। पता कराएंगे क्यों ज्यादा सवारियां लेकर चलते हैं। एसडीएम से डीसी नहीं संतुष्ट, एक्शन प्लान होगा तैयार

डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने इस मामले में एसडीएम धर्मकोट से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन शाम को डीसी को जो रिपोर्ट मिली है उससे वे संतुष्ट नहीं हैं, रिपोर्ट अधूरी है। डीसी ने कहा कि स्कूल बसों के मामले में सख्ती की जाएगी। इस मामले को रोड सेफ्टी में लाकर पूरा एक्शन प्लान तैयार करेंगे, ताकि फिर से इस प्रकार के हादसे न हों। स्कूल बसों में क्षमता से ज्यादा सवारियां न ले जाई जा सकें। पि्रंसिपल बोले-अधिक बच्चे बैठाने की नहीं जानकारी

मोगा में सेक्रेट हार्ट स्कूल की प्राइमरी विग की प्रिसिपल परमिदर तूर से जब क्षमता से ज्यादा सवारियों के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने ये कहकर टालने की कोशिश की कि सवारियां कैसे ज्यादा थीं, इसकी जांच कराएंगे। हालांकि स्कूल का पूरा जोर इस बात पर था कि ड्राइवर स्कूल बस में बैठे बच्चों की कुल संख्या न बता दे लेकिन 22 बच्चे अस्पतालों में पहुंचने के कारण स्कूल प्रबंधन की पोल पहले ही खुल चुकी थी।


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