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प्रतिष्ठा का सवाल बनी मोगा सीट, भाजपा प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार और बढ़ा

। भाजपा गठबंधन की जिले की चार में से तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। एकमात्र मोगा सीट जो भाजपा के खाते में आई है उसी पर फिलहाल एक डेरा मुखी की सहमति न मिलने के कारण मामला फंसा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 11:23 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 11:23 PM (IST)
प्रतिष्ठा का सवाल बनी मोगा सीट, भाजपा  
प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार और बढ़ा
प्रतिष्ठा का सवाल बनी मोगा सीट, भाजपा प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार और बढ़ा

सत्येन ओझा.मोगा

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भाजपा गठबंधन की जिले की चार में से तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। एकमात्र मोगा सीट जो भाजपा के खाते में आई है, उसी पर फिलहाल एक डेरा मुखी की सहमति न मिलने के कारण मामला फंसा हुआ है। डेरा मुखी पूर्व डीजीपी पीएस गिल की टिकट दिए जाने के पक्ष में हैं, जबकि पीएस गिल के करीबी सूत्रों की मानें तो खुद पीएस गिल चुनाव लड़ने के बजाय राज्यपाल बनाए जान की आफर में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। पार्टी हाईकमान से उन्हें पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद मेघालय के राज्यपाल बनाए जाने का आश्वासन मिल चुका है।

सूत्रों का कहना है कि पीएस गिल के साथ भाजपा का प्रदेश नेतृत्व चंडीगढ़ में पिछले तीन दिन से लगातार बैठकें कर रहा था। भाजपा नेतृत्व मोगा सीट को लेकर बहुत ही गंभीर है। वह इस सीट पर सभी की सहमति से ही अपना प्रत्याशी घोषित करने के मूड में है। हालांकि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व मोगा सीट से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए डा.हरजोत कमल को प्रत्याशी बनाने का फैसला ले चुका है। हालांकि मोगा सीट के लिए जिलाध्यक्ष विनय शर्मा के लिए संघ में बैठे उनके एक करीबी रिश्तेदार ने उनके लिए दबाव बनाया था, लेकिन पार्टी के आब्जर्वर की रिपोर्ट उनके पक्ष में न होने के कारण दावेदारी की होड़ से बाहर हो गए थे।

सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व में मोगा विधानसभा सीट को लेकर बेहद संवेदनशील है। यही वजह है कि वह इस समय किसी भी पक्ष को नाराज करने के मूड में कतई नहीं है, यही वजह है कि नेतृत्व नहीं चाहता है कि डेरा मुखी को नाराज करके पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया जाए। उन्हें आंकड़ों व हालात का हवाला देते हुए पीएस गिल के माध्यम से ही पूरी तरह संतुष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। माना जा रहा है कि डेरा मुखी की संतुष्टि ही नहीं बल्कि सभी पक्षों की संतुष्टि के बाद ही बाद ही टिकट की घोषणा करेगी। इस सीट पर भाजपा किसी को भी असंतुष्ट करने के मूड में नहीं है, ताकि घोषणा होते ही अपने प्रत्याशी के साथ पूरी ताकत चुनाव में झोंकी जा सके। मोगा सीट भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है। यही वजह है कि भाजपा मोगा सीट को लेकर किसी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं है।


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