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सत्ता की ताकत और कोरोना योद्धाओं के बीच खींची तलवारें

मोगा सत्ता ने अपनी ताकत दिखाते हुए विधायक डॉ. हरजोत कमल व उनके समर्थक द्वारा अभद्र व्यवहार करने की शिकायत किए जाने पर सिविल अस्पताल मोगा की एक मात्र पैथोलॉजिस्ट का तबादला लुधियाना कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 11:10 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 11:10 PM (IST)
सत्ता की ताकत और कोरोना योद्धाओं के बीच खींची तलवारें
सत्ता की ताकत और कोरोना योद्धाओं के बीच खींची तलवारें

जागरण संवाददाता, मोगा

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सत्ता ने अपनी ताकत दिखाते हुए विधायक डॉ. हरजोत कमल व उनके समर्थक द्वारा अभद्र व्यवहार करने की शिकायत किए जाने पर सिविल अस्पताल मोगा की एक मात्र पैथोलॉजिस्ट का तबादला लुधियाना कर दिया है। तबादला आदेश आने के बाद कोरोना योद्धाओं ने सत्ता के खिलाफ संघर्ष की तैयारी कर ली है। इस बारे में पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने पंजाब सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम दे दिया है। उनका कहना है कि डॉ. रीतू का तबादला आदेश वापस नहीं लिया, तो सोमवार से चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ अनिश्चिकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

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यह है मामला

हांगकांग जाने की तैयारी कर चुके 34 लोग मंगलवार को सिविल अस्पताल मोगा में कोरोना टेस्ट कराने पहुंचे थे। इन लोगों की कांग्रेस विधायक डॉ. हरजोत कमल ने सिफारिश की थी। सिविल अस्पताल में टेस्ट के लिए ट्रू नेट की मशीन मिली है। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार इस मशीन से सिर्फ उन लोगों के टेस्ट किए जा सकते हैं जिन्हें बुखार, खांसी या गला खराब है, ताकि कोरोना के कारण किसी की जान न जाए और समय पर टेस्ट होने पर संबंधित व्यक्ति को इलाज दिया जा सके। मशीन की क्षमता एक दिन में 15 टेस्ट करने की है।

मंगलवार को खांसी व बुखार से पीड़ित लोगों के टेस्ट पैथोलॉजिस्ट डॉ. रीतू जैन कराती रहीं, जिस कारण विधायक के साथ पहुंचे लोगों को कई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। दोपहर में डॉ. रीतू जब किसी काम से पुरानी इमरजेंसी पहुंची, तो एक एनआरआइ ने डॉ. रीतू को रास्ते में रोककर धौंस जमाने की कोशिश की। इस पर डॉ. रीतू ने साफ तौर पर कह दिया कि वह सरकारी गाइडलाइन से अलग हटकर काम नहीं कर सकती हैं। एक दिन में 15 से ज्यादा टेस्ट करने की क्षमता मशीन की नहीं है।

इस बात पर मौके पर हंगामा शुरू हुआ, तो अस्पताल में डिप्टी मेडिकल कमिश्नर के कमरे में बैठे विधायक डॉ. हरजोत कमल मौके पर पहुंच गए। डॉ. रीतू ने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि एनआरआइ ने उनके साथ अभद्र शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया है, तो उसके बाद उन्होंने भी जबाव दिया। मंगलवार के हंगामे की जो वीडियो वायरल हो रही है, उसमें डॉ. रीतू विधायक को यही समझाती दिख रही हैं कि उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया तो वे क्या चुप रहतीं, आखिर प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं।

विवाद के दौरान डॉ. रीतू की बात की अनसुनी करते हुए विधायक उनसे सॉरी कहते हुए सुनाई दे रहे हैं। साथ ही सफाई दे रहे हैं कि उनके समर्थकों को पहले ही बता दिया जाता कि ज्यादा टेस्ट नहीं होंगे तो लोग उत्तेजित नहीं होते और ये नौबत नहीं आती। ये कहते हुए विधायक कुछ लोगों को अपनी गाड़ी में बैठाकर चले गए।

शाम के समय डॉ. रीतू जैन ने लिखित में पूरे मामले की जानकारी असिस्टेंट सिविल सर्जन एवं पीसीएमएस यूनियन को दे दी और मंगलवार रात में ही उनके तबादले का आदेश आ गया।

डॉ.रीतू का कहना है कि विधायक के साथ आए लोगों ने उनके साथ अभद्रता भी की, उनका तबादला भी करा दिया। तबादले की खबर मिलते ही सिविल अस्पताल परिसर में डॉक्टर्स यूनियन के साथ ही पैरा मेडिकल स्टाफ व अन्य यूनियनों की बैठकें शुरू हो गई थीं, सभी यूनियनों ने डॉ.रीतू के तबादले को निदनीय बताया था।

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ये है डॉक्टरों की रणनीति

बुधवार देर शाम को पीसीएमएस यूनियन ने डॉ. रीतू के तबादले को रद्द करने की मांग को लेकर सरकारी को अल्टीमेटम दे दिया। यूनियन के प्रधान डॉ. गगनदीप सिंह, डॉ. इन्द्रवीर सिंह गिल, डॉ. संजीव जैन ने कहा कि डॉ. रीतू के साथ हुई अभद्रता व उनके तबादले के मामले को लेकर सिविल अस्पताल के सभी चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ 13 अगस्त को एक घंटे काम छोड़कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। फिर 14 अगस्त को दो घंटे काम बंद रखेंगे व काले बिल्ले लगाकर काम करेंगे। सोमवार तक कार्रवाई न होने पर चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

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मैं अनुरोध करता रहा, नहीं मानीं डॉक्टर

विधायक डॉ. हरजोत कमल ने कहा है कि उन्होंने किसी भी रंजिश से कोई काम नहीं किया है। जो एनआरआइ अस्पताल सुबह से अपना टेस्ट करवाने के लिए खड़े थे और जिनकी पर्ची भी काट दी गई थी, उसी के लिए महिला चिकित्सक डॉ. रीतू जैन को कहा गया था। जब मसला हल नहीं हुआ तो स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से अपील कर टेस्ट कराने के लिए कहा गया। महिला चिकित्सक उसके बाद भी केवल चार टेस्ट करने पर ही राजी हुई। जब यह घटनाक्रम हुआ तो मैं उनसे बार-बार अनुरोध करता रहा, लेकिन महिला चिकित्सक ने नहीं सुनी।


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