बहुमत के अंकगणित से दूर सत्ता के साथ खड़े पार्षदों में मेयर को लेकर फंसा पेंच
। बहुमत के अंक गणित से दूर होने के बावजूद हाल ही में अपनी पार्टियों से बगावत कर सत्ता का दामन थामने वाले पार्षदों में अभी से मेयर पद को लेकर घमासान शुरू हो गया है।
सत्येन ओझा.मोगा
बहुमत के अंक गणित से दूर होने के बावजूद हाल ही में अपनी पार्टियों से बगावत कर सत्ता का दामन थामने वाले पार्षदों में अभी से मेयर पद को लेकर घमासान शुरू हो गया है। वार्ड नौ व वार्ड-33 से निर्वाचित महिला पार्षदों के पतियों ने अपनी-अपनी पत्नियों को मेयर बनवाने के लिए लामबंदी शुरू कर दी है, उधर राज्य में सत्ता बदलने के बाद से लगातार पार्षदों को लामबंद कर खुद मेयर की कुर्सी तक पहुंचने की चाहत रखने वाले पार्षद गुरप्रीत सिंह सचदेवा पहले से ही मेयर पद के सबसे बडे़ दावेदार हैं।
बदल रहे हैं समीकरण
गौरतलब है कि प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद से नगर निगम में भी सत्ता बदलने के लगातार प्रयास चल रहे हैं। इस समय कांग्रेस की मेयर नीतिका भल्ला हैं, उन्होंने राज्य में सत्ता बदलने के बाद अपने कामकाज की शैली में बड़ा बदलाव लाकर पिछले तीन महीने में कई उलझे हुए मसलों को सुलझाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। उधर 50 पार्षदों वाले सदन में मेयर को बदलकर सत्ताधारी पार्टी का मेयर बनाने के लिए तीन महीने से लगातार प्रयास चल रहा था, हालांकि सत्ताधारी पार्टी के पास सिर्फ तीन पार्षद होने के कारण आप ज्यादा दबाव नहीं बना पा रही थी। आजाद पार्षद के रूप में निर्वाचित एवं हमेशा सुर्खियों में रहने वाले गुरप्रीत सिंह सचदेवा पार्षदों की लगातार लामबंदी करने में जुटे हुए थे। खासकर आजाद चुनाव जीतकर आए पार्षदों पर शुरू से ही गुरप्रीत सिंह सचदेवा ने अपनी पकड़ बनाकर रखी थी, तीन महीने के प्रयास के बाद आखिरकार पिछले सप्ताह गुरप्रीत सिंह सचदेवा के प्रयासों से चलते कांग्रेस के पार्षद प्रवीन मक्कड़ के निवास पर 13 पार्षदों को बुलाकर आम आदमी पार्टी की विधायक डा.अमनदीप कौर की मौजूदगी में सभी के गले में आम आदमी पार्टी के पटके डालकर आप में शामिल होने की घोषणा की थी। हालांकि उस दिन तय हुआ था कि ये प्रारंभिक घोषणा है लेकिन सभी पार्षदों को चंडीगढ़ में सीएम की मौजूदगी में या फिर पार्टी के किसी बड़े नेता की मौजूदगी में सभी को औपचारिक रूप से शामिल कराया जाएगा। पहले दिन ही ले लिया था यूटर्न
हालांकि इस घोषणा के बाद उसी दिन शाम को सत्ताधारी पार्टी का पटका पहनने वाले अकाली दल के एक मात्र पार्षद बूटा सिंह ने उसी दिन यू टर्न लेकर स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें धोखे से शहर की समस्याओं पर चर्चा के लिए बुलाया था, धोखे से पटका पहनाकर फोटो करा लिया, लेकिन वे अकाली दल में ही हैं। एक अन्य कांग्रेस पार्षद सुरिदर सिंह गोगा खुद नहीं पहुंचे, उनके बेटे पहुंचे थे, लेकिन उनके बेटे को आप में शामिल कर घोषणा सुरिदर सिंह गोगा के शामिल होने की कर दी थी। कुछ और पार्षद वापसी की तैयारी में
सूत्रों की मानें तो बूटा सिंह के यू टर्न के बाद संगरूर में हुई आप प्रत्याशी की हार के बाद अब अपनी पार्टी से बगावत तक सत्ता के साथ जाने वाले कुछ और पार्षदों ने भी यू टर्न लेने पर विचार शुरू कर दिया है। इस बीच में जितने भी पार्षद हैं उनमें मेयर को लेकर अभी से घमासान शुरू हो गया है, जबकि मेयर बनाने से पहले मेयर नीतिका भल्ला को उतारने के लिए 33 पार्षदों की जरूरत होगी, अपना पार्षद बनाने के लिए 26 पार्षदों की जरूरत होगी। जमीनी हकीकत ये है कि अभी तक आप एवं आप में शामिल हुए पार्षदों की संख्या 12 है, उनमें भी सुरिदर गोगा का मामला अभी तय नहीं है, ऐसे में बहुमत के आंकड़े से भी पार्षदों का ये गुट 15 अंक पीछे हैं, जबकि अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए तो अभी इस गुट को 22 पार्षदों की जरूरत है, ऐसे में सत्ताधारी पार्टी के साथ खड़े होने वाले पार्षद बहुमत के अंकगणित तक पहुंच पाएगा, फिलहाल इसकी संभावना दूर-दूर तक भी नहीं दिख रही है।