एएसआइ की आत्महत्या से गुस्साए स्वजनों ने चार घंटे तक सिविल अस्पताल का गेट बंद रखा
एएसआइ सतनाम सिंह की आत्महत्या करने के बाद आक्रोशित स्वजनों व गांव के लोगों ने आरोपित थाना प्रभारी इंस्पेक्टर व मुंशी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मथुरा दास सिविल अस्पताल का गेट चार घंटे तक बंद रखा।
राजकुमार राजू.मोगा
एएसआइ सतनाम सिंह की आत्महत्या करने के बाद आक्रोशित स्वजनों व गांव के लोगों ने आरोपित थाना प्रभारी इंस्पेक्टर व मुंशी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मथुरा दास सिविल अस्पताल का गेट चार घंटे तक बंद रखा। इस दौरान अस्पताल में एम्बुलेंस तक न आ सकीं न जा सकीं। वैक्सीनेशन के लिए आने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा, मरीज भी परेशान रहे, चार घंटे के हंगामे के बाद पुलिस ने जब आरोपित इंस्पेक्टर बधनीकलां कर्मजीत सिंह व मुंशी दविदर सिंह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया, उसके बाद ही अस्पताल का गेट खुल सका।
एएसआइ सुसाइड मामले में पुलिस ने जब दोपहर साढ़े 11 बजे तक कोई कार्रवाई नहीं की तो स्वजनों ने सिविल अस्पताल के गेट पर धरना शुरू कर दिया, सिविल अस्पताल के मेन गेट को बंद कर किसी को न आने दिया न जाने दिया। मामला गंभीर होने पर एसपी (एच) गुरदीप सिंह, डीएसपी सिटी बरजिदर सिंह भुल्लर ने स्वजनों को काफी समझाने बुझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी आरोपित इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी न होने तक धरना समाप्त न करने की जिद पर अड़े रहे। इस दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी करते रहे।
एंबुलेंस तक नहीं चल सकीं
हंगामे के दौरान चार एंबुलेंस फंसी रहीं, जिनमें दो एंबुलेंस बाहर से मरीज लेकर आई थीं, जो कम से कम 30 मिनट तक फंसी रहीं, बाद में मीडिया के हस्तक्षेप के बाद काफी मुश्किल से एम्बुलेंस अस्पताल के अंदर पहुंचे, तब जाकर मरीजों की राहत मिल सकी, जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों को लाने व ले जाने वाली दो एम्बुलेंस भी अस्पताल के अंदर भी फंसी रहीं। मैहमासिंह वाला रोड निवासी सर्बजीत सिंह की मौत संदिग्धावस्था में होने पर उसका पोस्टमार्टम कराया गया, पोस्टमार्टम के बाद शव सुबह 11 बजे परिजनों को सौंप दिया गया लेकिन बाद में धरना लग जाने के बाद उन्हें शव ले जाने के लिए चार घंटे तक इंतजार करना पड़ा। पुलिस भी प्रदर्शनकारियों की आगे बेबस बनी रही। स्कूटी ले जाते व्यक्ति से की मारपीट
मामला उस समय ज्यादा बिगड़ गया, जबकि धरने के निकट से एक व्यक्ति ने स्कूटी निकालने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों में शामिल लोगों ने उसे थप्पड़ मार दिए, पीड़ित ने इसका विरोध किया तो मौके पर हंगामा हो गया। पीड़ित के साथ और लोग भी आ गए, साथ ही पुलिस मुलाजिम भी मौके पर पहुंच गए। माहौल को बिगड़ते देख पुलिस ने जब थप्पड़ मारने वालों से पूछताछ शुरू की तो प्रदर्शनकारियों में शामिल जैमल सिंह वाला के सरपंच कुलविदर सिंह ने किसी तरह मामले को शांत किया। इसी दौरान पुलिस को दबाव बनाने का मौका मिल गया। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि आरोपित के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है, लेकिन धरने के नाम पर लोगों को परेशान किया या हंगामा किया तो उनके खिलाफ भी केस दर्ज हो सकता है। मामला बिगड़ते देख प्रदर्शनकारियों ने धरना समाप्त कर दिया। एएसआइ सतनाम सिंह की छवि ईमानदार पुलिस अफसर की थी, यही वजह है कि वह जिस मामले की जांच कर रहा था, उसने कई बार इंस्पेक्टर से कहा था कि वह आरोपित को उनके सामने पेश कर देता है वे खुद उससे पैसे मांग लें, लेकिन इंस्पेक्टर एएसआई सतनाम सिंह पर ही 50 हजार रुपये दिलवाने के लिए दबाव बना रहा था,इसी बात को लेकर सतनाम सिंह कई महीने से परेशान था। लोपो के निवासियों का कहना है कि सतनाम सिंह ने कोरोना काल में अपने पैसों से लोगों की मदद की है, सतनाम सिंह ने किसी को भी कभी परेशान नहीं किया। न ही कभी दूसरे मुलाजिमों की तरह लोगों से पैसे लेने जैसे मामले में नाम नहीं आया। दो बेटे व एक बेटी है
मृतक सतनाम सिंह के दो बेटे गुरप्रीत सिंह व लवदीप सिंह हैं। गुरप्रीत सिंह उसके साथ ही रहता है, जबकि लवदीप सिंह आस्ट्रेलिया में है। एक बेटी मनदीप है वह भी साथ में रहती है।