स्वार्थी और कटुभाषी व्यक्ति का नहीं होता मित्र : शास्त्री
देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट में रविवार को मांगलिक सत्संग यूट्यूब पर वैदिक चैनल के माध्यम से कथा सुनाते हुए सुनील कुमार शास्त्री ने कहा कि परदेश में विद्या मित्र है।
संवाद सहयोगी, मोगा : देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट में रविवार को मांगलिक सत्संग यूट्यूब पर वैदिक चैनल के माध्यम से कथा सुनाते हुए सुनील कुमार शास्त्री ने कहा कि परदेश में विद्या मित्र है, विपत्ति में धैर्य मित्र है, घर में पत्नी मित्र है, रोगी के लिए वैद्य मित्र है, आचरण में लाने पर ज्ञान मित्र है, शत्रु के सामने शस्त्र मित्र है, शस्त्र का मित्र साहस है, मरते हुए प्राणी का मित्र धर्म है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति स्वार्थी, नीच मनोवृत्ति वाला, कटुभाषी और धूर्त होता है उसका कोई मित्र नहीं होता।
एक वक्तव्य सुनाते आचार्य सुनील शास्त्री ने कहा कि नदी किनारे उगने वाले पेड़, खेत में फसल के साथ उगने वाले पौधे और घास, दुर्जनों की संगति में रहने वाला पुरुष, दूसरों के घर ज्यादा जाने और ठहरने वाली स्त्री, अनुशासन और आज्ञा का पालन न करने वाली संतान, रिश्वतखोर अधिकारी और अच्छी गुप्तचर व्यवस्था विहीन राज्य शासन आदि सब देर से ही सही पर नष्ट अवश्य होते हैं।
उन्होंने कहा कि आलसी का यश नष्ट हो जाता है, दुष्टों की मैत्री नष्ट हो जाती है, विलासी की संपदा नष्ट हो जाती है, कंजूस का सुख नष्ट हो जाता है। झूठ बोलने वाले की स्मरण शक्ति नष्ट हो जाती है और विवेक नष्ट हो जाने पर सबकुछ नष्ट हो जाता है। विपत्ति के समय में भी जिसका विवेक नष्ट होने से बच जाता है वह अवश्य ही नष्ट होने से बच जाता है।