कोरोना वैक्सीन की सक्सेज रेट उम्मीद से काफी ज्यादा : प्रो.वाइके गुप्ता
भारत सरकार के मेडिकल टास्क फोर्स कोविड-19 के सदस्य एवं भोपाल के डायरेक्टर के विचार।
सत्येन ओझा, मोगा :
भारत सरकार के मेडिकल टास्क फोर्स कोविड-19 के सदस्य एवं भोपाल व जम्मू एम्स के अध्यक्ष प्रोफेसर वाइके गुप्ता ने कोरोना की दोनों डोज लगवाने के बाद भी संक्रमित होने को लेकर फैल रही भ्रांति को दूर करते हुए कहा कि इस समय देशभर में दी जा रही दोनों ही वैक्सीन का सक्सेज रेट 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है। वैक्सीन की मान्यता देते समय 50 प्रतिशत की सफलता की मान्यता दे दी थी। इसकी सिवयरिटी बहुत कम हो जाती है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अभी वैक्सीनेशन का अभी ट्रायल चल रहा है।
प्रो. गुप्ता शनिवार को आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी में एक लाइव सेशन में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, कोरोना से बचना है तो दो गज की दूरी बनाकर रखें, मास्क लगाकर रखें, हाथों को 74 प्रतिशत या उससे ज्यादा एल्कोहल प्रतिशत वाले सैनेटाइजर से सैनेटाइज करें। प्रो. गुप्ता के अनुसार हर व्यक्ति की अलग बाडी होती है। कुछ लोगों में वैक्सीनेशन के बाद एंटीबाडी टाइटन उतना नहीं आ पाता है, जो संक्रमण को पूरी तरह रोक दे। वैक्सीनेशन से मृत्यु दर शून्य प्रतिशत है। वैक्सीनेशन के बाद किसी को बुखार आता है, किसी को कुछ नहीं होता, जिसे कुछ नहीं होता है उसे ये नहीं समझें कि वैक्सीन का उसके शरीर में कोई असर नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि जिन लोगों को वैक्सीन लग जाती है कुछ की बाडी में एंटीबॉडीज उतनी टाइटन नहीं करती हो, लेकिन संक्रमण की सिवियरटी कम हो जाती है। वैक्सीन अभी देश में सीमित संख्या में हैं, इसीलिए प्राथमिकता तय की गई हैं कि पहले किसको लगनी है।
नहीं बनते क्लाट
गाढ़े खून वाले को वैक्सीन लगने से उसके शरीर में खून के क्लाट बन जाते हैं, के सवाल का जवाब देते हुए प्रो. गुप्ता ने इसे भी अफवाह बताया है, उन्होंने बताया कि खून गाढ़ा या पतला नहीं होता है। कुछ लोगों के शरीर में प्लेटलेट्स एग्रीगेशन हो जाता है तो लोग गाढ़ा खून कहने लगते हैं ये गलत है। अभी तक नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग चुकी हैं, लेकिन क्लाट के केस 100 भी नहीं आए हैं। जबकि सामान्य रूप से क्लाटिग बहुत से लोगों के शरीर में हो जाती है, ऐसे में ये कहना कि वैक्सीन से क्लाटिंग हो जाएगी गलत है।