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जिले में मिला ब्लैक फंगस का दूसरा मरीज, पीजीआइ रेफर

जिले में ब्लैक फंगस का दूसरा मरीज मिला है। कस्बा कोटईसेखां के बाद रविवार को सिद्ध अस्तपाल में भर्ती कस्बा समालसर के 72 वर्षीय व्यक्ति में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए जाने के बाद उसे पीजीआइ रेफर कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 10:51 PM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 10:51 PM (IST)
जिले में मिला ब्लैक फंगस का दूसरा मरीज, पीजीआइ रेफर
जिले में मिला ब्लैक फंगस का दूसरा मरीज, पीजीआइ रेफर

राजकुमार राजू.मोगा

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जिले में ब्लैक फंगस का दूसरा मरीज मिला है। कस्बा कोटईसेखां के बाद रविवार को सिद्ध अस्तपाल में भर्ती कस्बा समालसर के 72 वर्षीय व्यक्ति में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए जाने के बाद उसे पीजीआइ रेफर कर दिया गया।

अब तक जिले में दो लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। वही सिविल अस्पताल में सर्जन , ईएनटी न होने समेत आइसीयू वार्ड न होने के कारण इसके इलाज की कोई सुविधा नहीं है।

जिले में दिन ब दिन कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ने के साथ मौतें की संख्या बढ़ रही है। लेकिन सरकारी स्तर पर लोगों को सेहत सुविधाएं न मिलने के चलते उन्हें निजी डाक्टरों का रुख करना पड़ रहा है। वही कुछ लैब संचालक संक्रमण की जांच के लिए पर लोगों को लूट रहे हैं। रविवार को सिद्ध अस्पताल में कस्बा के एक 72 वर्षीय व्यक्ति के ब्लेक फंगस होने के कारण अस्पताल संचालक ने अपना फर्ज अदा करते हुए सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों को सूचित करते हुए पीड़ित को पीजीआइ रेफर कर दिया। डाक्टर दविदर सिद्धू ने कहा कि लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव करना होगा ताकि संक्रमित होने के बाद उन्हें ब्लैक फंगस का शिकार न होना पड़े।

ब्लैक फंगस से किसको है सबसे ज्यादा खतरा

1. डाक्टर दविदर सिद्धू ने कहा है कि अनकंट्रोल डायबिटीज के मरीज, डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के मरीज, डायबिटीज के मरीजों या अन्य मरीजों पर स्टेरायड का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों को ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा होता है।

2. इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर का इलाज करवा रहे मरीजों, या किसी पुरानी बीमारी के रोगियों को भी ब्लैक फंगस होने का चांस होता है।

3. मरीजों पर स्टेरायड्स का ज्यादा इस्तेमाल करना, या उनको स्टेरायड्स ज्यादा देने से भी ब्लैक फंगस का खतरा होता है।

4. टोसिलिजुमैब इंजेक्शन का मरीजों पर ज्यादा इस्तेमाल करना पर भी ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है।

5.कोरोना के मरीज, जो आक्सीजन सपोर्ट पर हैं या फिर वेंटीलेटर सपोर्ट पर हैं, उन्हें ब्लैक फंगस होने के चांस हैं।

ब्लैक फंगस के ये हैं लक्षण

1. नाक से असामान्य काला स्त्राव या खून का आना। या फिर नाक में पपड़ी पड़ना या सूखना।

2. नाक बंद होना, सिरदर्द या आंखों में दर्द, आंखों के चारों ओर सूजन, धुंधला दिखना, आंखों का लाल होना, आंखों की रोशनी चले जाना, आंख बंद करने में कठिनाई, आंख खोलने में असमर्थता, आंख में होने वाले कोई भी बदलाव।

3. चेहरे का सुन्न होना या झुनझुनी महसूस करना या फिर चेहर में सूजन हो जाना।

4. मुंह से खाना चबाने या खोलने में कठिनाई होना ऐसे पता लगाएं:

डाक्टर दविदर सिद्धू कहा है कि ब्लैक फंगस का पता लगाने के लिए आप घर में चेहरे में हलचल करें। जैसे मुंह खोलना, लंबी-लंबी सांस लेना इत्यादि। दिन के उजाले में नाक, गाल, आंख के आसपास अच्छे से देखें कि कोई बदलाव तो नहीं दिख रहा है। जैसे त्वचा का सूजना, लाल हो जाना, छूने पर दर्द होना, नाक से खून आना आदि। यानी हर दिन पूरे चेहरे में होने वाले बदलाव पर आपको नजर रखनी है। अगर आपको इन सब में से कोई भी लक्षण दिखे तो आप तुंरत डाक्टर से संपर्क करें।


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