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नियमों को ताक पर रख दौड़ती रहीं स्कूल बसें, अधिकारी करते रहे टालमटोल

महंगे प्याज पर तो विभिन्न राजनीतिक पार्टी के नेताओं के आंसू खूब छलक रहे हैं लेकिन सड़कों पर मासूमों की जिदगी को दांव पर लगाकर दौड़ रहीं स्कूल बसों के मामले में न किसी नेता को परवाह है न ही किसी अधिकारी को।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 06:11 AM (IST)
नियमों को ताक पर रख दौड़ती रहीं स्कूल बसें, अधिकारी करते रहे टालमटोल
नियमों को ताक पर रख दौड़ती रहीं स्कूल बसें, अधिकारी करते रहे टालमटोल

सत्येन ओझा, मोगा : महंगे प्याज पर तो विभिन्न राजनीतिक पार्टी के नेताओं के आंसू खूब छलक रहे हैं, लेकिन सड़कों पर मासूमों की जिदगी को दांव पर लगाकर दौड़ रहीं स्कूल बसों के मामले में न किसी नेता को परवाह है, न ही किसी अधिकारी को।

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एक दिन पहले ही 12 सीटर बस में 40 बच्चों को लेकर जा रही बस पलटने के बाद कुछ नेता बच्चों का हाल जानने पहुंचे जरूर, लेकिन ऐसे हादसों पर ब्रेक लगाने के लिए क्या उपाए किए जाएं, किसी ने चर्चा तक नहीं की। एक संस्था ने एसडीएम नरिदर सिंह धालीवाल को ज्ञापन सौंपा। एसडीएम नरिदर सिंह धालीवाल ने ये कहकर मामला खत्म कर दिया कि इस मामले में कार्रवाई के लिए सेक्रेटरी आरटीए हरदीप सिंह को वे लिखेंगे। सेक्रेटरी आरटीए (मोगा-फरीदकोट) हरदीप सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पास जीए का भी एडीशनल चार्ज है, सेकंड अफसर एटीओ के पास चंडीगढ़ का अतिरिक्त चार्ज है, ऐसे में रूटीन चेकिग तो होती है, स्कूल बसों की चेकिग के लिए स्थानीय ट्रैफिक पुलिस को कहा गया है, अधिकारियों के इन एक दूसरे ऊपर टालने वाले बयानों के बीच शहर में हादसे के दूसरे दिन भी स्कूल बसें नियमों को ताक पर रखकर बैखौफ दौड़ती दिखाई दीं। एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

श्री साईं बाबा लंगर सेवा सोसायटी ने शुक्रवार को एसडीएम मोगा नरिदर सिंह धालीवाल को दिए ज्ञापन में कहा है कि मोगा के गांव जनेर में 40 बच्चों से भरी स्कूल बस के एक हादसे में पलट जाने और 22 बच्चों के घायल होने का मामला निसंदेह बेहद दुखदाई भी है चिता का विषय भी। स्कूल बस के नाम पर स्कूल बच्चों के पेरेंट्स से मोटी धनराशि तो लेते हैं लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने स्कूल बसों के लिए जो गाइडलाइन दी हैं रोड सेफ्टी के तहत जो नियम बनाए गए हैं। बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह स्कूल बसों में ठूंस दिया जाता है। लड़कियों के बावजूद महिला अटेंडेंट तक नहीं होती हैं स्कूल बसों में। यह बेहद गंभीर मामला है, इस पर सख्त कार्रवाई हो। रोड सेफ्टी कमेटी कितनी गंभीर?

रोड सेफ्टी कमेटी के चेयरमैन डीसी होते हैं जबकि मेंबर सेक्रेटरी सचिव आरटीए होते हैं। कमेटी की हर महीने बैठक सचिव आरटीए की ओर से बुलाई जाती है, वही इसका एजेंडा जारी करते हैं। मोगा-फरीदकोट आरटीए के सेक्रेटरी हरदीप सिंह फरीदकोट में बैठते हैं, ऐसे में बैठक कई-कई महीने बाद हो पाती है। कमेटी के हाल में सदस्य बनाए गए समाजसेवी एसके बंसल का कहना है कि वे एक महीने पहले ही कमेटी के सदस्य बने हैं। दस दिन पहले रोड सेफ्टी कमेटी की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता एसडीएम ने की थी। ये रिब्यू बैठक थी, बहुत कम सदस्य भी पहुंचे थे।


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