संजीव सैनी ने प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को कोच बनाकर आत्मनिर्भर बनाया
। एक हजार करोड़ रुपये के सालाना व्यवसाय की बुलंदियां छूने वाले समाजसेवी एवं बीबीएस ग्रुप के चेयरमैन संजीव सैनी अब अपने व्यवसाय की योजनाएं लाभ को मुख्य आधार बनाकर नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने पर केंद्रित करते हैं।
सत्येन ओझा.मोगा
एक हजार करोड़ रुपये के सालाना व्यवसाय की बुलंदियां छूने वाले समाजसेवी एवं बीबीएस ग्रुप के चेयरमैन संजीव सैनी अब अपने व्यवसाय की योजनाएं लाभ को मुख्य आधार बनाकर नहीं, बल्कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने पर केंद्रित करते हैं। सैनी का मानना है कि समाज के जो लोग बुलंदियों पर हैं, वे जरूरतमंद लोगों की तात्कालिक सहायता करने तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने तक उनका हाथ पकड़ें, सही मायने में देश व समाज की उन्नति तभी संभव है।
आत्मनिर्भर बनाने तक दें साथ
उनका कहना है कि तात्कालिक समाधान समय की जरूरत हो सकती है, लेकिन दूरदर्शिता का परिचय देते हुए व्यक्ति के आत्मनिर्भर बनाने तक उनका साथ देना चाहिए। गरीब जब समृद्ध होगा, उसकी खरीद की ताकत बढ़ेगी तो उसका सीधा लाभ उन्हीं को होना तय है। भले ही संजीव सैनी समराला ग्रुप व बीबीएस ग्रुप में करीब पांच हजार लोगों को सीधे तौर पर रोजगार दे रहे हैं, लेकिन शहर में खिलाड़ियों को रोजगार देकर मिसाल कायम की है।
खिलाड़ियों को नियुक्त कर दिखाई नई राह
संजीव सैनी ने 14 साल पहले बीबीएस ग्रुप के माध्यम से खेलों को बढ़ावा देना शुरू किया था। स्कूल में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल मैदान बनाए। हल साल बीबीएस-खेल में न सिर्फ दो हजार से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, बल्कि उनके खेल कौशल को तराशने के लिए सैनी ने करीब 20 से ज्यादा कोच की नियुक्ति की है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल कौशल से अपनी प्रतिभा दिखाने वाले जो खिलाड़ी रोजगार के लिए कई साल तक तरसते रहे, उन्हें खेल कोच के रूप में अच्छे वेतन पर नियुक्ति देकर नई राह दिखाई है। संजीव सैनी का मानना है कि अब जो भी योजना वे तैयार कर रहे हैं, उसके पीछे उनका लक्ष्य एक ही होता है कि वे कितने लोगों को रोजगार दे सकते हैं, यही आधार बनाकर योजनाएं तैयार कर रहे हैं। नए साल में इस अभियान को और भी प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाएंगे।
इतिहास के अच्छे जानकार हैं
अपने इतिहास व भूगोल की जानकारी रखने वाले संजीव सैनी साहित्य के अच्छे पाठक भी हैं, उनकी निजी लाइब्रेरी में महान पुरुषों की जीवनी, इतिहास से जुड़ी किताबों का भंडार रहता है, सैनी उन्हें पढ़ते भी हैं उन पर अमल भी करते हैं, वे कहते हैं कि शायद महापुरुषों की जीवनी से उन्हें कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है, जिसे वे निरंतर कर रहे हैं, अच्छा और सकारात्मक करते हुए कभी थकान महसूस नहीं होती है, यही वजह है कि वे कभी उन्होंने थकान महसूस नहीं की।