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सद्दीक को मिला राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने का बड़ा मौका

अपनी लोकगायकी से पंजाब के लोगों के दिलों में कई दशक तक राज करने के बाद राजनीति में कदम रखने वाले कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद सद्दीक की जीत कई मायने में काफी महत्वपूर्ण तो है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 11:15 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 06:22 AM (IST)
सद्दीक को मिला राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने का बड़ा मौका
सद्दीक को मिला राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने का बड़ा मौका

जासं, मोगा : अपनी लोकगायकी से पंजाब के लोगों के दिलों में कई दशक तक राज करने के बाद राजनीति में कदम रखने वाले कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद सद्दीक की जीत कई मायने में काफी महत्वपूर्ण तो है, वहीं प्रदेश की राजनीति से निकलकर उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने का बड़ा मौका भी है। सद्दीक ने 20 साल के बाद न सिर्फ कांग्रेस की फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र में शानदार वापसी कराई है, बल्कि अकाली दल के गढ़ में अनुभवी अकाली नेता को पराजित कर सुर्खियां बटोरी हैं।

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गौरतलब है कि मोहम्मद सद्दीक की की जीत इस बात का बड़ा संकेत है कि यहां के मतदाताओं ने जाति व धर्म से ऊपर उठकर मतदान किया है, मोहम्मद सदीक की टिकट तय होने के बाद कांग्रेस व कांग्रेस के बाहर सबसे बड़ा विरोध इसी बात को लेकर उठा था कि मजहबी सिख बहुल क्षेत्र में कांग्रेस ने मजहबी सिख को प्रतिनिधित्व न देकर मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को टिकट की है। जगह-जगह इस बात को लेकर कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुआ। सदीक के लिए दूसरी बड़ी चुनौती गुटों में बंटे अपनी पार्टी के विधायकों व नेताओं को साधने की थी, लेकिन सद्दीक ने बड़ी समझ के साथ पार्टी के सभी गुटों के साथ बराबर का तालमेल रखा, साथ ही जवानी के दिनों से अपनी गायकी में हमसफर रहीं रंजीत कौर के साथ चुनाव प्रचार किया। भले ही उनके चुनाव प्रचार में उनकी गायकी कहीं नहीं दिखी, लेकिन धाराप्रवाह भाषण शैली से लोगों के दिलों को जीतने में कामयाब रहे।

रणीके को मिला सबक

पांच बार विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके अकाली दल के गुलजार सिंह रणीके लिए ये चुनाव बड़ी सीख लेने वाला रहा। उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारी फरीदकोट में चुनाव घोषणा से दो महीने पहले ही शुरू कर दी, लेकिन वे अपने पार्टी वर्करों के बीच रणनीति बनाकर उन्हीं में जीत का सपना बुनते रहे, क्षेत्र की समस्याओं की आवाज नहीं बन सके। ऐसे में उन्हें फरीदकोट की जनता ने साफ शब्दों में ये संकेत दे दिया है कि जब तक यहां से चुनकर जाने वाला नेता उनकी समस्याओं के समाधान का काम नहीं करेगा, उनकी आवाज नहीं बनेगा, तब तक यहां के मतदाता बदलाव के पुराने इतिहास को दोहराते रहेंगे। फरीदकोट के मतदाताओं के दिल में जगह बनानी है तो यहां के लोगों की आवाज बनना पड़ेगा। क्षेत्र की बड़ी समस्याओं ने साधू सिंह को पहुंचाया तीसरे स्थान पर

वर्तमान सांसद प्रो. साधू सिंह के लिए भी ये चुनाव बड़ा सबक देने वाला है। फरीदकोट के मतदाताओं ने साधू सिंह को तीसरे नंबर पर धकेल कर साफ तौर पर संकेत दिया है कि सांसद का कर्तव्य महज सांसद निधि ईमानदारी से बांट देने तक नहीं है, सांसद को अपनी ताकत दिखानी होगी, जनता में उन्हें रहना होगा, लोगों की समस्याओं के समाधान की पहल करनी होगी। सद्दीक के लिए भी फरीदकोट की बड़ी समस्याएं 30 साल से लंबित पड़े मोगा कोटकपूरा रेलवे लाइन को पूरा कराना, अधूरे पड़े लुधियाना तलवंडी फोर लेन मार्ग को पूरा कराने के साथ ही फरीदकोट शुगर मिल की बहाली बड़ी चुनौती थी।


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