पटवारी ने दो सगे भाइयों को बनाया एनआरआइ की जमीन का मालिक, केस
मोगा रेवेन्यू पटवारी की मेहरबानी से दो भाइयों ने अमेरिका में बैठे एनआरआइ की जमीन का मालिक बनकर बैंक से आठ लाख रुपये का लोन ले लिया। यह राज मामले की पड़ताल में सामने आया है। पुलिस जांच में हालांकि पटवारी ने इसे गलती से हुई कार्रवाई बताया है।
जागरण संवाददाता, मोगा
रेवेन्यू पटवारी की मेहरबानी से दो भाइयों ने अमेरिका में बैठे एनआरआइ की जमीन का मालिक बनकर बैंक से आठ लाख रुपये का लोन ले लिया। यह राज मामले की पड़ताल में सामने आया है। पुलिस जांच में हालांकि पटवारी ने इसे गलती से हुई कार्रवाई बताया है। वहीं, यह बात गले के नीचे नहीं उतर रही है क्योंकि जमीन पर धोखे से किसी का नाम दर्ज हो सकता है, लेकिन उस जमीन का मालिक बनकर जिस प्रकार से बैंक से लोन लिया गया है, उससे जाहिर है कि जमीन पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से धोखाधड़ी की साजिश रची गई है। वहीं इस बारे में समालसर थाने ने इस मामले में रेवेन्यू पटवारी सहित तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी करने व साजिश रचने के आरोप में केस दर्ज किया है।
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यह है मामला
गांव मल्लके के पूर्व रेवेन्यू पटवारी गुरदेव सिंह निवासी गांव रोड़ीकपूरा जिला फरीदकोट तथा दो सगे भाइयों जगसीर सिंह व जसवीर सिंह निवासी गांव मल्लके के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी करने के आरोप में थाना समालसर में केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने इस मामले की जांच की, तो रेवेन्यू विभाग की बड़ी गड़बड़ी सामने आई।
एएसआइ कश्मीर सिंह के अनुसार मूलरूप में गांव मल्लके निवासी वर्तमान में अमरीका नागरिक नारायणदीप सिंह की तकरीबन सवा चार एकड़ जमीन मल्लके में है। यह जमीन नारायणदीप सिंह ने अपने पिता किंदर सिंह के नाम पॉवर आफ अटार्नी की हुई है। एनआरआइ की यह जमीन पंजाब एंड सिध बैंक, ब्रांच समालसर के पास मार्टगेज है। उसने साल 2015 में खेती कर्ज के लिए 10 लाख की लिमिट बनवाई हुई है।
माल पटवारी गुरदेव सिंह पर आरोप है कि उसने साल 2015-16 का नया जमीन रिकार्ड/जमाबंदी तैयार करने के दौरान प्रवासी पंजाबी नारायणदीप सिंह की मालिकी की कुछ जमीन में से नाम गायब करके उसकी जगह दो सगे भाइयों जगसीर सिंह और जसवीर सिंह को मालिक बना दिया। हालांकि जमाबंदी के समय नया रिकॉर्ड तैयार करते समय टीमें बनाकर रिकॉर्ड की जांच की जाती है। रिकॉर्ड की री चेकिग होती है, लेकिन मामला नहीं पकड़ा गया।
जमीन की मालिकी की गड़बड़ी उस समय हुई, जब एनआरआइ के पिता किदर सिंह भी अमेरिका चले गए थे, ताकि धोखाधड़ी पकड़ में न आ सके।