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पुरषोत्तम मास की एकादशी सर्वाधिक फलदायी

मोगा वर्ष में जितने भी एकादशी व्रत होते हैं और इसमें से अभी तक किसी भी एकादशी पर आपने व्रत नहीं किया है तो पुरषोत्तम मास की एकादशी का व्रत करें। इससे वर्ष भर के शेष एकादशी का व्रत करने के समान फल प्राप्त होता है। इस बार 27 सितंबर को पुरषोत्तम एकादशी व्रत है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 10:59 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 10:59 PM (IST)
पुरषोत्तम मास की एकादशी सर्वाधिक फलदायी
पुरषोत्तम मास की एकादशी सर्वाधिक फलदायी

संवाद सहयोगी, मोगा

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वर्ष में जितने भी एकादशी व्रत होते हैं और इसमें से अभी तक किसी भी एकादशी पर आपने व्रत नहीं किया है, तो पुरषोत्तम मास की एकादशी का व्रत करें। इससे वर्ष भर के शेष एकादशी का व्रत करने के समान फल प्राप्त होता है। इस बार 27 सितंबर को पुरषोत्तम एकादशी व्रत है। अधिक मास या पुरुषोत्तम मास में होने के कारण इस एकादशी को पुरषोत्तम एकादशी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है। इस एकादशी का व्रत करने का सौभाग्य कम ही मिल पाता है। पंडितों का कहना है कि इस व्रत को सभी को करना चाहिए और भगवान की पूजा व दान पुण्य कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।

श्री कृष्णा मंदिर के पुजारी हरिओम शर्मा ने कहा कि पुरषोत्तम एकादशी व्रत अधिक मास में रखा जाता है और यह व्रत 27 सितंबर को किया जाएगा। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। इसलिए भगवान ने इस महीने को अपना नाम दिया है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति एकादशी व्रत का पालन सच्चे मन से करता है, उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए दान पुण्य की भी विशेष महत्ता है।

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सभी सुखों की होती है प्राप्ति

प्राचीन श्री सनातन धर्म हरि मंदिर के पुजारी पवन गौड़ ने बताया कि इस पुरषोत्तम मास के शुक्ल पक्ष एकादशी का नाम पद्मिनी एकादशी है। इस एकादशी का महात्म्य 12 महीनों की 24 एकादशियों के व्रत से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से रोगों से छुटकारा, बल, बुद्धि, विद्या, धन धान्य व पुत्र पौत्रादि को प्राप्त करके मनुष्य पूर्ण आयु का भोग करते हुए पूर्वजों सहित वैकुंठ धाम में जाता है। यानी परम शांति को प्राप्त करता है, ऐसी धर्मात्माओं की मान्यता है।

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संतान के चाहवान करें व्रत

वैष्णो दुर्गा मंदिर के पुजारी माहीपाल शास्त्री का कहना है कि पुरषोत्तम मास की एकादशी तिथि को व्रत करने से संतानहीन को संतान की प्राप्ति होती है। जो पुत्र के चाहवान हैं, वह यह व्रत अवश्य करें। विष्णु सहस्त्र नाम व गोपाल स्रोत का पाठ करें। 27 सितंबर को फलाहार से व्रत रख अगले दिन सुबह शिवलिग पर जलाभिषेक कर व्रत को पूर्ण करे।

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विष्णु पूजन व व्रत रखें

श्री सनातन धर्म शिव मंदिर के पुजारी पवन गौतम ने कहा कि हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं। इस बार 26 एकादशी हैं। इस महीने में राधा कृष्ण व नारायण की पूजा विशेष फलदायी है। इस दिन उपवास का बहुत महत्व है। श्री हरि विष्णु का पूजन करने व व्रत करने से मन की हर इच्छा पूर्ण होती है।


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