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पुरषोत्तम मास शुरू, सभी के लिए रहेगा फलदायी

मोगा 18 सितंबर से पुरषोत्तम मास आरंभ हो रहा है। इसके कारण लोगों को अभी एक माह और शरद नवरात्र का इंतजार करना होगा। हर वर्ष पितृ पक्ष (पितृ विसर्जन) के तुरंत बाद नवरात्र शुरू हो जाते थे। इसके तहत नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती थी। मगर इस साल ऐसा नहीं है। इस बार पितृ पक्ष और शारदीय नवरात्र में एक माह का अंतर है। इस साल पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच एक माह का अधिमास यानी पुरुषोत्तम मास व मलमास होगा। यह अधिमास 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:50 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 05:14 AM (IST)
पुरषोत्तम मास शुरू, सभी के लिए रहेगा फलदायी
पुरषोत्तम मास शुरू, सभी के लिए रहेगा फलदायी

तरलोक नरूला, मोगा

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18 सितंबर से पुरषोत्तम मास आरंभ हो रहा है। इसके कारण लोगों को अभी एक माह और शरद नवरात्र का इंतजार करना होगा। हर वर्ष पितृ पक्ष (पितृ विसर्जन) के तुरंत बाद नवरात्र शुरू हो जाते थे। इसके तहत नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती थी। मगर, इस साल ऐसा नहीं है। इस बार पितृ पक्ष और शारदीय नवरात्र में एक माह का अंतर है। इस साल पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच एक माह का अधिमास यानी पुरुषोत्तम मास व मलमास होगा। यह अधिमास 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा। यह सभी के शुभ और फलदायी रहेगा। जिसको लेकर पंडितों ने इस महीने की महत्ता बताते हुए पुण्य दान करने को प्रेरित किया है।

तीर्थ यात्रा के लिए उत्तम : प्राचीन सनातन धर्म शिव मंदिर के पुजारी पवन गौतम ने कहा कि यह पुरषोत्तम मास में शुभ कार्य जैसे मकान, दुकान का मुहूर्त, विवाह, शादी समागम या अन्य कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। जबकि तीर्थ यात्रा, दान पुण्य, भजन कीर्तन, पूजा पाठ समागम आदि लाभदायक है।

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भगवान विष्णु पूजन फलदायी

बगलामुखी मंदिर के पुजारी आचार्य नंद लाल ने बताया कि पंचांग के अनुसार मलमास मास का आधार सूर्य व चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षो के बीच 11 दिनों का अंतर होता है और यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है व इसी को मलमास कहा जाता है। शास्त्रों में इस मास में भगवान विष्णु का पूजन कई गुना फलदायी बताया गया है।

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खाद्य सामग्री करें दान

गोपाल गोशाला मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित पवन कौशिक ने बताया कि पुरुषोत्तम मास के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु हैं इस मास में दान पुण्य का विशेष महत्व है। यह माह अन्न, वस्त्र के साथ-साथ गोदान और गो के प्रति आस्था एवं श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष महीना है। यह अवसर तीन साल बाद पुरुषोत्तम मास के रूप में हमें प्राप्त होता है। जो व्यक्ति भगवान विष्णु की नरसिंह भगवान के रूप में और वामन भगवान के रूप में इस महीने पूजा करते हुए ब्राह्माणों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए अन्न से बने पकवान व खाद्य सामग्री दान करता है, उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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गोसेवा करना पुण्य

अंतेश्वर महादेव शिव मंदिर के पुजारी राजेश शर्मा ने बताया कि पुरषोत्तम मास में गोसेवा व जरूरतमंद की सेवा करना पुण्य है। उन्होंने कहा कि इस महीने में विष्णु पुराण, हरिवंश पुराण व सुखसागर का पाठ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अधिमास में किए गए धार्मिक कार्यो का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। यही वजह है कि श्रद्धालु श्रद्धा और शक्ति के साथ इस मास में भगवान को प्रसन्न कर अपना इहलोक व परलोक सुधारने में जुट जाते हैं।


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