ईद पर नमाज अदा करके मांगी कोरोना से राहत की दुआ
मोगा आल इंडिया उल्लमा व मिशाईख बोर्ड ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए पांच लोगों के साथ ईद की नमाज अदा की। इस मौके पर प्रधान सोनू वाहिद ने कहा कि ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रमजान के पाक महीने के रोजे रखने पर ईद का चांद दिखाई देने पर मनाया जाता है। ईद भाईचारे का प्रतीक है और इस दिन लोग सुबह के समय ईदगाह में नमाज अदा करके एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।
संवाद सहयोगी, मोगा
आल इंडिया उल्लमा व मिशाईख बोर्ड ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए पांच लोगों के साथ ईद की नमाज अदा की। इस मौके पर प्रधान सोनू वाहिद ने कहा कि ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रमजान के पाक महीने के रोजे रखने पर ईद का चांद दिखाई देने पर मनाया जाता है। ईद भाईचारे का प्रतीक है और इस दिन लोग सुबह के समय ईदगाह में नमाज अदा करके एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। मगर, इस बार ईद कोरोना वायरस व लाकडाउन के चलते हर साल की तरह बड़े स्तर पर नहीं मनाई गई, क्योंकि लोगों को भीड़ के साथ मस्जिदों में ईद की नमाज अदा करने और बाहर रहकर जश्न मनाने की इजाजत नहीं है।
ऐसा पहली बार हुआ है कि लोग इस बार ईद पर गले मलकर एक-ूसरे को त्योहार की मुबारकबाद नहीं दे सके। मुसलिम भाईचारे ने अपने घर पर ही रह कर नमाज अदा की।
सोनू वाहिद ने बताया कि ईद पर गले मिलने का मतलब होता है कि आपकी किसी से दुश्मनी या मनमुटाव है तो उनको भुला कर गले मिलें। जिससे मन मुटाव खत्म हो। फिर से दिल मिल सके। ईद खुशियों का नाम है। इस दौरान नमाज के बाद देश के लिए दुआ की गई कि जल्द से जल्द कोरोना महामारी से देश को राहत मिले । उन्होंने लोगों से अपील की है कि सरकार व प्रशासन को सहयोग करे।
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-ईद से पहले जकात व फितरा देने का महत्व
ईद की नमाज से पहले सभी मुसलमानों का फर्ज है कि वह अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान दें। रमजान के महीने में यह दान दो रूप में दिया जाता है फितरा और जकात। रमजान के महीने में ईद से पहले फितरा और जकात हर हैसियतमंद मुसलमान पर फर्ज होता है। ल्लाह ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है। गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी न आए, इसलिए अल्लाह ने हर संपन्न मुसलमान पर जकात और फितरा देने का फर्ज किया है। सोनू वाहिद ने कहा कि कपड़ों की खरीदारी हरगिज न करें। नए की बजाय पुराने साफ-सुथरे कपड़े पहनें और जरूरतमंदों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें, ताकि ईद की सभी लोग खुशी से बना सकें। इस मौके पर इसराइल अली मोहम्मद, एहतसाम मुस्फिक, मोनू वाहिद व मुहम्मद हबीब आदि हाजिर थे।