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रेत खनन माफिया पर दूसरी बड़ी कार्रवाई, ट्रैक्टर-ट्राली जब्त, 12 पर केस दर्ज

। एसएसपी ध्रुमन एच निबले के निर्देशन में पुलिस ने धर्मकोट क्षेत्र में सतलुज दरिया किनारे अवैध खनन के मामले में चार दिन में दूसरी बार बड़ी कार्रवाई करते हुए रेत से भरी एक और ट्रैक्टर ट्राली जब्त कर 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 10:26 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 10:26 PM (IST)
रेत खनन माफिया पर दूसरी बड़ी कार्रवाई, ट्रैक्टर-ट्राली जब्त, 12 पर केस दर्ज
रेत खनन माफिया पर दूसरी बड़ी कार्रवाई, ट्रैक्टर-ट्राली जब्त, 12 पर केस दर्ज

सत्येन ओझा.मोगा

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एसएसपी ध्रुमन एच निबले के निर्देशन में पुलिस ने धर्मकोट क्षेत्र में सतलुज दरिया किनारे अवैध खनन के मामले में चार दिन में दूसरी बार बड़ी कार्रवाई करते हुए रेत से भरी एक और ट्रैक्टर ट्राली जब्त कर 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। बुधवार को पुलिस ने जब रेत से भरी ट्राली को कब्जे में लिया तो आरोपी मौके के फरार हो गए। कुछ देर बाद मौके पर मोटरसाइकिलों पर सवार होकर 11 लोग पहुंच गए, उन्होंने थाना प्रभारी के साथ धक्का मुक्की कर ट्रैक्टर ट्राली को छीनने का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें नाकाम कर दिया।

एसएसपी ने बताया कि ट्रैक्टर चालकों ने रेत की जो रसीद दिखाई हैं वह फर्जी हैं। माइनिग अधिकारी से इस मामले में रिपोर्ट तलब की गई कि एक जुलाई को जिस समय माइनिग पर प्रतिबंध लगा था उस समय डंप में कितना रेत स्टोर था, कितने की बिक्री हुई है, उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे मामले के लिए एसपी डी जगतप्रीत सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। यह है मामला

थाना धर्मकोट में तैनात सहायक थानेदार सुलक्खन सिंह ने बताया कि वह गांव चक्क भोरे के पास गश्त कर रहे थे। उन्हें सूचना मिली थी कि आरोपित प्रीत सिंह, लड्डू ,बब्बू, दिलबाग सिंह, बलविदर सिंह व सुरजीत सिंह निवासी गांव गट्टी जट्टा व पांच-छह अज्ञात लोग सतलुज दरिया से अवैध खनन कर रेत की ट्राली भर रहे हैं। उन्होंने छापेमारी कर रेत से भरी ट्राली व ट्रैक्टर पीबी 10 बीजी 4067 को कब्जे में ले लिया। पुलिस को देख मौके पर मौजूद लोग फरार हो गए। पुलिस जब ट्रैक्टर ट्राली को लेकर थाने आ रही थी तो उक्त आरोपित बाइक पर सवार होकर जबरदस्ती रेत से भरी ट्राली व ट्रैक्टर को छीनने के लिए आ गए। वे ट्रैक्टर तो नहीं ले जा सके, लेकिन उसकी चाबी निकाल कर मौके से फरार हो गए। आरोपितों के खिलाफ अवैध खनन व सरकारी ड्यूटी में खलल डालने के आरोप में मामला दर्ज कर पुलिस ने उनकी तलाश में छापेमारी शुरू कर दी।

इससे पहले पुलिस ने 18 सितंबर को गांव केला, मौजगढ़, शेरपुर तायबां, सैद जलालापुर में चैकिग के दौरान आठ लोगों को मौके से गिरफ्तार कर उनके खिलाफ केस दर्ज कर पांच ट्रैक्टर -ट्राले (चोरी की रेत समेत), दो पोपलेन मशीनें, एक जेसीबी मशीन, एक लैपटाप और एक प्रिटर आदि सामान कब्जे में ले लिया था। ऐसे चलता है रेत का काला कारोबार

हर साल एक जुलाई से 30 सितंबर तक दरिया किनारे माइनिग पर रोक लग जाती है। ठेकेदार पहले से ही माइनिग पर डंप लगा लेते हैं। प्रतिबंध के तीन महीने में पहले से डंप की रेत की बिक्री करते हैं। नियमानुसार प्रतिबंध लगने के बाद माइनिग अफसर डंप किए रेत का रिकार्ड हासिल करते हैं, उसमें से बिक्री होने वाले रेत का हर दिन का रिकार्ड रखा जाता है, किस नंबर की ट्रैक्टर ट्राली या ट्राला कितना रेत लेकर आया है,इसका हिसाब रखा जाता है। सूत्रों का कहना है कि माइनिग विभाग के लोगों की ठेकेदार से मिलीभगत होने के कारण 100 ट्रैक्टर ट्रालियों में से 8-10 को ही सही रसीद दी जाती है, जिसका उल्लेख उनके सेल रिकार्ड में रहता है, बाकी को रसीदें तो असली दी जाती हैं, लेकिन ठेकेदार के रिकार्ड में उन रसीदों का उल्लेख नहीं होता। जिससे रेत बिकती ज्यादा है लेकिन रिकार्ड में 10 प्रतिशत बिक्री भी नहीं दर्ज की जाती है।अंदरखाते माइनिग भी चलती रहती है, जिस दिन रेड होती है, माइनिग विभाग से पहले ही सूचना पहुंच जाती है, इस दिन रेत ले जाने वाले सभी वाहनों को असली पर्ची थमा दी जाती है। दो गुना रेट की वसूली

सरकार ने नौ रुपये फीट रेत का रेट तय किया है लेकिन इन दिनों में ठेकेदार 18 रुपये प्रति फीट के हिसाब से रेत की बिक्री कर रहे हैं। रिकार्ड में नौ रुपये की दर्ज किए जाते हैं, यही वजह है कि बाजार में रेत के दाम आसमान छू रहे हैं। यही नहीं ठेकेदार शहर के बड़े रेत विक्रेताओं से समझौता कर लेते हैं, डंप से उनकी फर्म की रसीदें ये कहकर जारी कर देते हैं कि संबंधित दुकानदार उनसे रेत खरीद चुका है, ये रेत उसकी है, जिससे सरकार को टैक्स का हर दिन लाखों रुपये का चूना लगता है। ये चर्चा भी है गर्म

सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार से एक पुलिस मुलाजिम 10 लाख रुपये की डिमांड एक बड़े अधिकारी के नाम पर रखी थी। चर्चा है कि ठेकेदार ने पहले तो हामी भर दी थी। 17 सितंबर को तय राशि उस दिन शाम को दी जानी थी, बाद में ठेकेदार कब्जे में लिए गए सभी वाहनों की रसीदें रिकार्ड में दर्ज कर राशि का भुगतान करने से मुकर गया। सूत्रों का कहना है कि इस बात को लेकर मामला बिगड़ा था, हालांकि मामले की जांच कर रहे एसपी डी जगतप्रीत सिंह ने इस प्रकार की चर्चाओं को कोरी अफवाह बताते हुए कहा है कि कार्रवाई पूरी तरह पारदर्शी ढंग से की जा रही है। माइनिग विभाग से पूरा रिकार्ड मांगा गया है, उसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी, कोई भी कितना भी प्रभावशाली हो छोड़ा नहीं जाएगा।


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