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डाक्टरों ने ओपीडी बंद रखकर जताया रोष, बोले-मांगें पूरी न हुई तो नहीं करेंगे वैक्सीनेशन

। ज्वाइंट पंजाब गवर्नमेंट डाक्टर कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों ने वीरवार को सिविल अस्पताल में ओपीडी समेत मेडिकल सेवाएं बंद करके पंजाब सरकार व सेहत विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Jul 2021 10:22 PM (IST)Updated: Thu, 01 Jul 2021 10:22 PM (IST)
डाक्टरों ने ओपीडी बंद रखकर जताया रोष, बोले-मांगें पूरी न हुई तो नहीं करेंगे वैक्सीनेशन
डाक्टरों ने ओपीडी बंद रखकर जताया रोष, बोले-मांगें पूरी न हुई तो नहीं करेंगे वैक्सीनेशन

राज कुमार राजू,मोगा

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ज्वाइंट पंजाब गवर्नमेंट डाक्टर कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों ने वीरवार को सिविल अस्पताल में ओपीडी समेत मेडिकल सेवाएं बंद करके पंजाब सरकार व सेहत विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया।

इस दौरान डाक्टरों ने सरकारी डाक्टरों को मिल रहे 25 प्रतिशत एनपीए का प्रारंभिक वेतन का हिस्सा जारी करने की मांग की। डाक्टरों की हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहीं। ओपीडी बंद होने के चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। वीरवार को लगाए गए धरने में तालमेल कमेटी पैरा मेडिकल के कुलबीर सिंह ढिल्लों,सेहत कर्मी जिला मोगा,मल्टीपपर्ज हेल्थ इंप्लाइज यूनियन के महिन्द्र पाल लूंबा, पंजाब राज फार्मेसी अफसर एसोसिएशन के राज कुमार ढुडीके,राजेश भारद्वाज,स्टाफ नर्सेज एसोसिएशन के सदस्य शामिल हुए।

ये रहीं मुख्य मांगें

ज्वाइंट पंजाब गवर्नमेंट डाक्टर कोआर्डिनेशन कमेटी के डा. गगनदीप सिंह, डा. इन्द्रबीर सिंह गिल, डा. अशोक सिगला, डाक्टर नवदीप सिंह बराड़ आदि डाक्टरों ने कहा कि आज तक पंजाब सरकार अपने सरकारी डाक्टरों को प्रारंभिक वेतन के 25 प्रतिशत के बराबर एनपीए देती आ रही है। यह एनपीए हर लाभ के लिए प्रारंभिक वेतन का ही हिस्सा माना जाता रहा है। लेकिन दुख की बात है कि पंजाब सरकार द्वारा गठित छठे पे कमीशन ने यह सिफारिश की है कि एनपीए को 25 प्रतिशत से कम करके 20 प्रतिशत कर दिया जाए तथा वेतन के अलावा कोई भी भत्ता प्रारंभिक वेतन का हिस्सा न बनाया जाए। मेडिकल भत्ता, रिहायशी भत्ता को पे-कमीशन की सिफारिशों के अनुसार लागू किया जाए। अगर मांगें पूरी न हुई तों अस्थायी तौर पर ओपीडी बंद करके कामकाज बंद रखा जाएगा। डाक्टरों के साथ की जा रही धक्केशाही

डा. रुपेन्द्र कौर, डा. मनीष अरोड़ा, डा. साहिल गुप्ता, डा. चरणप्रीत सिंह, डा. नरेन्द्रजीत सिंह आदि ने कहा कि कोरोना काल के दौर में डाक्टरों से यह एक धक्का है। सरकारी डाक्टरों समेत समूचे सेहत विभाग व पशु पालन विभाग ने इस महामारी दौरान सही अर्थों में योद्धे बनकर काम किया है तथा कर रहे हैं। सैकड़ों डाक्टर इस कोरोना पीड़ित हुए हैं तथा कुछ डाक्टर तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं। लेकिन उनकी हौसला अफजाई करने की बजाए सरकार उनके वेतन कम करके आर्थिक शोषण करने जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पहले से की मांग अनुसार एनपीए 33 प्रतिशत किया जाए, एनपीए को

पहले की तरह प्रारंभिक वेतन का हिस्सा माना जाए, एनपीए को प्रारंभिक वेतन का हिस्सा मानते हुए पेंशन फिक्स की जाए। इस मौके पर एसोसिएशन के जिला नेता डाक्टर रीतू जैन,डाक्टर संजीव जैन, डा. अशोक कुमार सिगला, डा. गौतमवीर सिंह सोढ़ी, डा. सोमिया, डा. नवदीप सिंह बराड़, जिला हेल्थ सुपरवाइर महेन्द्रपाल लूंबा मौजूद थे। दिव्यांग को नहीं हुआ उपचार

मोगा के सिविल अस्पताल में गांव झंडेवाला से घुटनों का उपचार करवाने पहुंचे दिव्यांग 75 वर्षीय भजन सिंह ने बताया कि वह अपने गांव से वीरवार सुबह टैंपो किराये पर लेकर उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचा था। यहां पहुंचकर काफी निराश हुआ। डाक्टरों के न होने के कारण उनको लगभग एक घंटा इंतजार करना पड़ा। विनती करने के बावजूद उसका उपचार नहीं हो पाया।

काला पीलिया के मरीज का नहीं हुआ इलाज

गांव मंगे वाला से सिविल अस्पताल पहुंचे सुखविदर सिंह ने बताया कि वह पिछले लंबे समय से एक काला पीलिया की बीमारी से पीड़ित हैं। कई दिनों से मोगा के सिविल अस्पताल में उपचार के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बार-बार आने के दौरान वहां डाक्टर न मिलने के कारण उन्हें निराशा ही मिली। अब निजी डाक्टर से ही इलाज करवाना पड़ेगा।

गर्भवती महिला का नहीं हो सका अल्ट्रासाउंड

सिविल अस्पताल में मोगा निवासी रजनी अपनी सास किरण के साथ अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए पहुंची थी वही रवीना भी अपनी मां के साथ सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए आए थे लेकिन गायनी डाक्टर के साथ-साथ अल्ट्रासाउंड करने वाला डाक्टर भी नहीं मिला जिसके कारण उन्हें गर्मी में परेशानी से जूझना पड़ा ।


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