आक्सीजन सिलेंडर ब्लास्ट : मोटी रकम लेकर हो रही है आक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी
कोकरी बेहनीवाल कांड ने जिले में आक्सीजन सिलेंडर के नाम पर चल रही कालाबाजारी के खेल का ही पर्दाफाश नहीं किया है बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के खिलाफ शहर में अनट्रेंड स्टाफ के साथ टैक्सी के रूप में दौड़ रही एंबुलेंस के अवैध संचालन से भी पर्दा हटाया है।
सत्येन ओझा.मोगा
कोकरी बेहनीवाल कांड ने जिले में आक्सीजन सिलेंडर के नाम पर चल रही कालाबाजारी के खेल का ही पर्दाफाश नहीं किया है, बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के खिलाफ शहर में अनट्रेंड स्टाफ के साथ टैक्सी के रूप में दौड़ रही एंबुलेंस के अवैध संचालन से भी पर्दा हटाया है। आक्सीजन सिलेंडर के फटने से जान गंवाने वाला सतनाम कोकरी बेनीबाल गांव में जो एंबुलेंस चला रहा था, उसमें न तो कोई जीवन रक्षक दवाएं थीं और न ही स्टाफ। सिर्फ आक्सीजन सिलेंडर था और चालक। नान मेडिको चालक ही आक्सीजन सिलेंडर आपरेट कर रहा था। आक्सीजन सिलेंडर को लेकर जब कालाबाजारी शुरू हुई तो डीसी संदीप हंस ने सभी निजी व सरकारी अस्पताल के आक्सीजन गैस सिलेंडर अपने अंडर कर लिए थे। एसडीएम एवं आक्सीजन के लिए जिले में नियुक्त नोडल अधिकारी सतवंत सिंह ने बताया कि कोकरी कांड की जांच के बाद पता चला है कि आक्सीजन सिलेंडर अधिकृत डीलर से नहीं गया है। जिला प्रशासन ने जो आक्सीजन सिलेंडर कब्जे में लिए हैं वह अस्पतालों को 415 रुपये प्रति सिलेंडर की कीमत पर दिए जा रहे हैं। जांच में पता चला है कि एक व्यक्ति आक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी कर रहा है। वह 12 हजार रुपये तक प्रति सिलेंडर के हिसाब से लोगों से वसूली कर रहा है। उसकी पड़ताल की जा रही है, जल्द ही उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। ये है एंबुलेंस के लिए गाइडलाइन
-एंबुलेंस वातानुकूलित होनी चाहिए।
-एंबुलेंस में पर्याप्त जगह हो ताकि मरीज को घबराहट या घुटन हो।
-एंबुलेंस में डाक्टर के साथ प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ होना चाहिए।
- आक्सीजन सिलेंडर और फिल्टर पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
-इमरजेंसी लाइफ सेविग ड्रग्स उपलब्ध हों।
-जहर निगलने के केस में पेट से निकालने के रायल्स ट्यूब्स होनी चाहिए
- स्टैथोस्कोप, बीपी मानिटर फोल्डिंग मशीन और पावरफुल टार्च भी हो। क्या हैं नियम
एंबुलेंस के नाम पर कुछ गाड़ियां जननी सुरक्षा योजना के अधीन चल रही हैं। ये गाड़ियां सिर्फ ठीक हुए मरीज को अस्पताल से घर पहुंचा सकती हैं या फिर किसी के घर से लाकर अस्पताल में लाकर भर्ती करा सकती हैं, इन गाड़ियों में न मेडिकल स्टाफ की जरूरत होती है न दवाओं आदि की। सिर्फ मरीज के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए, ताकि उसे घुटन न हो। रेफर किए गए मरीज को इस प्रकार की एंबुलेंस में रेफर नहीं किया जा सकता है।
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शहर के सिद्धू अस्पताल के संचालक डा.दविदर सिंह सिद्दू का कहना है कि गांव कोकरी बेहनीवाल का अजमेर सिंह पुत्र बचन सिंह किसी अन्य अस्पताल से रेफर होकर उपचार के लिए आया था। वह कोरोना संक्रमण से पीड़ित था। हालात में सुधार न होता देखकर उन्होंने सोमवार को देर शाम अच्छे हेल्थ इंस्टीट्यूट में जाने के लिए रेफर किया था। उनके अस्पताल की एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेने गई थी, परिवार अपने स्तर पर एंबुलेंस बुलाकर मरीज को ले गया था।