Move to Jagran APP

अब डाक सहित घरों में डिजिटली पेमेंट भी कर रहे डाकिये

मोगा एक समय डाकिये को देख दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं। बढ़ें भी क्यों नहीं डाकिया ही तो था जो अपनों का संदेश लाता था तब बहुत सम्मान होता था डाकिये का। समय के साथ तकनीक का दौर बदला और चिट्ठियां मोबाइल फोन पर उतरने लगीं। इसके साथ ही डाकिये ने भी तकनीक के दौर में अपने काम के तौर-तरीके बदल लिए हैं। अब भले ही डाकिया घर में चिट्ठियां देने न जाता हो लेकिन एटीएम बनकर वह कैश देने घर पहुंचता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 10:34 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 10:34 PM (IST)
अब डाक सहित घरों में डिजिटली पेमेंट भी कर रहे डाकिये
अब डाक सहित घरों में डिजिटली पेमेंट भी कर रहे डाकिये

तरलोक नरूला, मोगा

loksabha election banner

एक समय डाकिये को देख दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं। बढ़ें भी क्यों नहीं, डाकिया ही तो था जो अपनों का संदेश लाता था, तब बहुत सम्मान होता था डाकिये का। समय के साथ तकनीक का दौर बदला और चिट्ठियां मोबाइल फोन पर उतरने लगीं। इसके साथ ही डाकिये ने भी तकनीक के दौर में अपने काम के तौर-तरीके बदल लिए हैं। अब भले ही डाकिया घर में चिट्ठियां देने न जाता हो, लेकिन एटीएम बनकर वह कैश देने घर पहुंचता है। इस नई जिम्मेदारी को भी डाकिया आज भी साइकिल पर ही चलकर बखूबी निभा रहे हैं।

नत्थूवाला जदीद के ब्रांच पोस्टमास्टर बलजीत सिंह का कहना है कि वह 21 वर्षो से डाक कर्मचारी की सेवा निभा रहे हैं। आज भी वह 20-25 के करीब चिट्ठियां व रजिस्ट्रियां वितरित करते हैं। अब उन्हें आधार इनेबल पेमेंट सर्विस अर्थात इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। जिसके तहत उन्हें इन कामों के लिए रोजाना चार घंटे का कार्य अलग से सौंपा गया है, जबकि वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की। उन्होंने बताया कि मोबाइल विभाग की तरफ से दिया गया है। ग्राहक को इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के तहत घर पर ही उसका आधार कार्ड व खाते का नंबर लेकर पैसे दे दिए जाते हैं।

वहीं दूसरी ओर डिलीवरी ब्रांच के पोस्टल असिस्टेंट पिदर पाल सिंह का कहना है कि इस समय लगभग एक हजार के करीब रजिस्ट्रियां तथा आठ सौ के करीब सरकारी कार्यालयों व बैंकों आदि की चिट्ठियां रोजाना आती हैं।

-------------------

गरीब कल्याण योजना के तहत डिजिटली दी पेमेंट

पोस्टमैन वजिदर पुरी ने बताया कि वह 30 वर्षो से डाक विभाग की सेवा निभाते हुए साइकिल पर गांव लडेके व संत नगर में डाक बांटते हैं। लॉकडाउन से पहले रोजाना लगभग 50 रजिस्ट्री व पत्र बांटने के लिए होते थे। मगर, लॉकडाउन के बाद अभी ये 10-15 तक ही सीमित हैं। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में उन्होंने गरीब कल्याण योजना के तहत ट्रांजेक्शन मशीन के माध्यम से 500 के करीब गरीब परिवारों को सरकार द्वारा आए गरीब कल्याण योजना की पांच-पांच सौ की पेमेंट दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.