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नई वार्डबंदी पर हंगामा ज्यादा हुआ, आपत्तियां सिर्फ 35

मोगा नगर निगम की नई वार्डबंदी का ड्राफ्ट 16 अक्टूबर को सामने आने पर भले ही शहर भर में इसकी जमकर आलोचना हुई। मगर इस बारे में 23 अक्टूबर तक निर्धारित तिथि तक सिर्फ 35 आपत्तियां ही पहुंची हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 05:08 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 06:30 AM (IST)
नई वार्डबंदी पर हंगामा ज्यादा हुआ, आपत्तियां सिर्फ 35
नई वार्डबंदी पर हंगामा ज्यादा हुआ, आपत्तियां सिर्फ 35

सत्येन ओझा, मोगा

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नगर निगम की नई वार्डबंदी का ड्राफ्ट 16 अक्टूबर को सामने आने पर भले ही शहर भर में इसकी जमकर आलोचना हुई। मगर, इस बारे में 23 अक्टूबर तक निर्धारित तिथि तक सिर्फ 35 आपत्तियां ही पहुंची हैं। उनमें भी पांच-छह आपत्तियां ही ऐसी हैं जो तर्कपूर्ण हैं। ये आपत्तियां निर्वतमान मेयर अक्षित जैन व अकाली दल के हलका इंचार्ज बरजिदर सिंह बराड़ की ओर से दी गई हैं। इसके अतिरिक्त अन्य आपत्तियों में कोई ठोस दलील नहीं दी गई है। इस बारे में कुछ आपत्तियां तो एक ही जैसे एक ही स्थान पर टाइप कराकर दी गई हैं, जो पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित वार्डो से संबंधित हैं। मगर, इस बारे में आपत्ति के साथ दिए गए तथ्य के पक्ष में किसी भी प्रकार का आंकडा नहीं दिया गया है।

गौरतलब है कि नई वार्डबंदी का ड्राफ्ट जब तक लोगों के सामने नहीं आया था, तब तक यह चर्चा थी कि नई वार्डबंदी में सिर्फ कुछ वार्डो में वोटर की संख्या के अंतर के साथ ही रेलवे लाइन व मेन बाजार की जो सीमा रेखाओं का उल्लंघन हुआ है, उसे दूर किया जाएगा।

हालांकि नई वार्डबंदी में सीमा रेखा के किए गए उल्लंघन को लेकर एक जगह दुरुस्त किया गया है, लेकिन दूसरी तरफ पहले की तरह यहां भी सीमा रेखा का उल्लंघन किया गया है। नियमानुसार शहर को चार जोन में बांटा गया है। वार्डबंदी के दौरान एक दूसरे जोन को क्रास नहीं करना था। इसके लिए मेन बाजार व रेलवे लाइन को सीमा रेखा बनाया गया था। वार्डबंदी के दौरान इनमें से किसी का उल्लंघन नहीं होना था। इस बार रामगंज क्षेत्र के साथ पुरानी दाना मंडी को हटाकर उस गलती को ठीक कर दिया गया है, लेकिन अकासलर रोड क्षेत्र के साथ पुरानी मंडी छोड़कर नई वार्डबंदी में गलती दोहराई गई है।

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ये हैं मूल आपत्ति

अकाली दल के हलका इंचार्ज बरजिदर सिंह बराड़ एवं निवर्तमान मेयर अक्षित जैन की ओर से दी गई आपत्ति में सवाल उठाया गया है कि पांच साल में न शहर की आबादी बढ़ी, न क्षेत्र बढ़ा, फिर सरकार के किस नियम के आधार पर वार्डबंदी की जरूरत पड़ी। गोधेवाला छप्पड़ क्षेत्र में सामान्य वर्ग की आबादी ज्यादा है, फिर किस आधार पर उसे पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किया गया।

अकाली नेता बरजिदर सिंह बराड़ का कहना है कि उन्होंने ये आपत्तियां डीसी संदीप हंस को भी व्यक्तिगत रूप से मिलकर सौंपी हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि इन आपत्तियों को सुना नहीं गया तो वे मामले को अदालत ले जाएंगे।

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भाजपा आएगी निगम की सत्ता में

भाजपा जिलाध्यक्ष विनय शर्मा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि कांग्रेस जैसे चाहे वार्डो को बना ले, भाजपा कांग्रेस को हराकर निगम में सत्ता में आएगी। यही वजह है कि भाजपा के किसी दावेदार की ओर से नई वार्डबंदी पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। हालांकि वह मानते हैं कि नई वार्डबंदी में बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी की गई है, सत्ता की ताकत का दुरुपयोग किया गया है।

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अकाली व भाजपा बना रहे वार्डबंदी का बहना

कांग्रेस विधायक डा. हरजोत कमल का कहना है कि अकाली व भाजपा अपनी हार को देखकर वार्डबंदी का बहाना बना रहे हैं। असल में पांच साल में अकाली दल के लोग आपस में लड़ते रहे। जनता का कुछ काम नहीं किया। दोबारा चुनाव में किस मुंह से जाएं, इसलिए चुनाव टालने का बहाना ढूंढ रहे हैं। उन्होंने सवाल किया है कि सरकार ने अगर नए सिरे से वार्डबंदी की है तो जो पहले वोटर थे वो शहर से बाहर तो नहीं किए हैं या शहर के बाहर से लाकर कोई वोटर नहीं शामिल किए हैं। अकाली दल के जो वोटर हैं वो एक वार्ड में नहीं तो दूसरे वार्ड में उन्हें वोट देंगे। वे इतना घबरा क्यों रहे हैं। इस बात का जबाव उन्हें जनता को देना होगा।


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