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स्वामी सहज प्रकाश के निधन के मामले में नया मोड, स्वामी अनुज ने जताई हत्या की आशंका

माेगा के गीता भवन ट्रस्ट के चेयरमैन स्वामी सहज प्रकाश के चिरनिद्रा में लीन होने के बाद इस बड़ा सवाल खड़ा किया गया है। हरिद्वार के पावन धाम आश्रम की सेवा कर रहे संत अनुज ब्रह्मचारी ने उनकी हत्‍या की आशंका जताई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 01:02 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 01:02 PM (IST)
स्वामी सहज प्रकाश के निधन के मामले में नया मोड, स्वामी अनुज ने जताई हत्या की आशंका
स्‍वामी अनुज और गीता भवन ट्रस्‍ट के चेयरमैन रहे स्‍वामी सहज प्रकाश।

मोगा, जेएनएन। गीता भवन ट्रस्ट के चेयरमैन स्वामी सहज प्रकाश के 13 नवंबर की रात को चिरनिद्रा में विलीन होने के बाद शुरू हुए संपत्ति विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। हरिद्वार में संचालित पावन धाम आश्रम की सेवा कर रहे संत अनुज ब्रह्मचारी ने ट्रस्ट के सदस्य स्वामी कमल पुरी महाराज के खिलाफ एसएसपी हरिद्वार को शिकायत देकर स्वामी सहज प्रकाश की हत्या की आशंका जताई है। आरोप लगाए हैं कि बीमारी के बहाने स्वामी सहज प्रकाश को हरिद्वार से मोगा लाकर उनकी करोड़ों रुपये की संपत्ति हथिया ली गई। वहीं स्वामी कमल पुरी महाराज ने आरोपों को खारिज कर दिया है। दूसरी ओर, गीता भवन परसिर में स्‍वामी सहज प्रकाश के लिए शांति पाठ का रविवार को आयोजन किया गया। इसमें तीन संत ही पहुंचे।

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हरिद्वार के एसएसपी को दी शिकायत में शक के कई कारण गिनाए

गीता भवन परिसर में स्वामी सहज प्रकाश के अस्थि कलश की स्थापना की गई। स्वामी अनुज ब्रह्मचारी इसके लिए मोगा आए थे। अनुज प्रकाश और गीता भवन ट्रस्ट के कनिष्ठ उपाध्यक्ष खुशवंत राय जोशी ने कहा कि उन्होंने स्वामी कमलपुरी महाराज के खिलाफ एसएसपी हरिद्वार को शिकायत दी है। उन्हें स्वामी सहज प्रकाश की हत्या की आशंका है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि स्वामी जी के ज्यादा बीमार होने पर स्वामी कमल पुरी साजिश के तहत उन्हें मोगा लाए थे। स्वामी जी को कोरोना की पुष्टि हुई थी। उन्हें मोगा के एक निजी अस्पताल में भी रखा गया था।

रविवार को शांति पाठ में मोगा के गीता भवन परिसर में शामिल श्रद्धालु।

उन्होंने कहा कि कोरोना मरीज को अधिकतम 21 दिन तक अस्पताल में रखा जाता है, जबकि स्वामी सहज प्रकाश को 31 दिन बाद उस समय डिस्चार्ज करवाया गया जब ट्रस्ट के सदस्यों ने दबाव बनाया। कोरोना के कारण स्वामी जी को दिखना बंद हो गया था। फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था। ऐसे वक्त में दो साध्वियों के नाम वसीयत करवाई गई, जिसमें स्वामी कमल पुरी महाराज गवाह बने थे।

आरोप बेबुनियाद, संत हूं, संत ही रहूंगा: स्वामी कमल पुरी

दूसरी ओर, स्वामी कमल पुरी महाराज का कहना है कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं। उन्हें तो स्वामी सहज प्रकाश की बीमारी की बात  मोगा आने के एक महीने बाद पता चली। उसके बाद वह कुशलक्षेम पूछने आए थे। जो लोग ट्रस्ट की संपत्ति हथियाना चाहते हैं वह इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। वह संत हैं और संत ही रहेंगे। गीता भवन की संपत्ति से कोई मतलब नहीं है।

गीता भवन परिसर में हुआ शांति पाठ,ए संतों ने बनाई दूरी

स्वामी सहज प्रकाश के लिए शांति पाठ गीता भवन परिसर में रविवार को शांति पाठ हुआ,लेकिन इससे संतों ने दूरी बनाए रखी।  गीता भवन ट्रस्ट की प्रोपर्टी को लेकर छिड़े विवाद व स्वामी कमलपुरी जी महाराज पर हत्या की आशंका में हरिद्वार में दी गई शिकायत के बाद जूना अखाड़े के स्वामी सहज प्रकाश के निमित्त गीता भवन में रखे गए शांति पाठ में रविवार को संतों ने दूरी बना ली। न स्वामी कमलपुरी जी महाराज पहुंचे न ही हरिद्वार से स्वामी चिन्यमयानंद जी पहुंचे। सिर्फ तीन संत ही शांति पाठ में मौजूद थे जिनमें से दो हरिद्वार के पावन धाम में सेवा दे रहे संत थे, जबकि तीसरे संत के रूप में  दिल्ली महानिर्माणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर चन्द्रशेखरानंद जी पहुंचे।

गौरतलब है कि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर व गीता भवन ट्रस्ट के चेयरमैन रहे स्वामी सहजप्रकाश जी लगभग दो महीने की बीमारी के बाद 14 अप्रैल को चिर निद्रा में  विलीन हो गए थे। उसके बाद से ही प्रोपर्टी को लेकर विवाद शुरू हो गया था, क्योंकि बीमारी के दिनों में ही स्वामी सहज प्रकाश ने  ट्रस्ट की प्रोपर्टी की वसीयत दो साध्वियों के नाम कर दी थीं, ये साध्वियां पहले सिरसा डेरे की सेवादार थीं, बाद में यहां आ गई थीं। हालांकि स्वामी सहज प्रकाश को कोरोना के के चलते उनके फेफड़े डैमेज हो गए थे। बीमारी के उन्हीं दिनों में उन्होंने वसीयत की थी। वसीयत के दौरान स्वामी कमलपुरी जी महाराज ने गवाही दी थी, तभी से स्वामी कमलपुरी जी महाराज गीता भवन ट्रस्ट के निशाने पर थे।


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