Move to Jagran APP

प्रकृति की चहेती बहनों ने दिखाई खुशहाल जीवन की राह

मोगा प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा की एक रचना की पंक्ति है.. अमीरी की अकड़ तभी तक रहती है। जब तक गरीबी उसे निहारती है। इन पंक्तियों को प्रकृति की चितेरी तीन बहनों जेसिका नेहा व नताशा ने अपने काव्य संग्रह में बेहतरीन ढंग से अभिव्यक्त कर बड़ा संदेश दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:17 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 02:19 AM (IST)
प्रकृति की चहेती बहनों ने दिखाई खुशहाल जीवन की राह

सत्येन ओझा, मोगा

loksabha election banner

प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा की एक रचना की पंक्ति है.. अमीरी की अकड़ तभी तक रहती है। जब तक गरीबी उसे निहारती है। इन पंक्तियों को प्रकृति की चितेरी तीन बहनों जेसिका, नेहा व नताशा ने अपने काव्य संग्रह में बेहतरीन ढंग से अभिव्यक्त कर बड़ा संदेश दिया है। 'ट्रूथ बिहाइंड द रिचीज' नामक एक कविता में कवयित्री बहनों ने लिखा है कि अमीरी और ताकत पैसों के बल पर नहीं खरीदी जा सकती है, न ही सुंदरता और ज्ञान। वर्तमान जैसा भी है, अमीरी है गरीबी है, जिस दिन वर्तमान का आनंद करना सीख लेंगे, उस दिन सुनहरे भविष्य का रास्ता खुद ब खुद आपके कदमों को चूम लेगा।

बस्ती गोविदगढ़ निवासी तीन बहनें नेहा, जेसिका व नताशा ने अंग्रेजी भाषा में विभिन्न विषयों पर कविताएं लिखी थीं। जिसे बाद में उनके पिता बीबीएस ग्रुप के चेयरमैन संजीव सैनी ने काव्य संग्रह के रूप में प्रकाशित कराकर उसे आम लोगों तक पहुंचाने का काम किया है। साल 2014 में चंडीगढ़ के यूनिस्टार पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की कई हजार पुस्तकें बिक चुकी हैं। अपने पहले काव्य संग्रह की सफलता के बाद अब तीनों बहनों का दूसरा काव्य संग्रह 'व्हेन द सन शाइन' भी प्रकाशन के लिए तैयार है, जो जल्द लोगों के हाथों में होगा।

पहले काव्य संग्रह में कविताओं में तीनों बहनों ने एक समय में संदेश वाहक के रूप में पहचान बनाने वाले कबूतर के जीवन, उनके मनोभावों को काव्य में बखूबी उतारते हुए मार्मिक ढंग संदेश भी दिया है। इन कबूतरों का आशियाना पेड़ों को काटना बंद करें, कबूतरों के आशियानों को उजाड़कर अपने लिए खूबसूरत फर्नीचर तैयार करना प्रकृति के साथ अन्याय है। 'आफ्टर द सन राइजेज' नामक काव्य संग्रह में बढ़ते प्रदूषण, प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य, व्यक्ति के अंदर के मनोभावों व जज्बातों को बेहतरीन ढंग से शब्दों में पिरोया है। पिता से उपहार में मिले ब्लूमिग बड्स स्कूल पर भी जेसिका, नेहा, नताशा की कलम चली है, जहां उन्होंने खुद सेकेंडरी एजुकेशन हासिल की। एकल परिवारों के इस दौर में संयुक्त परिवारों में आज भी संस्कारों में पलते भविष्य को रेखांकित कर अपनों से दूर होते अपनों को फिर से संस्कारों की डोर में बंधने का संदेश भी दिया है, प्रेरणा भी दी है।

जेसिका, नेहा व नताशा बताती हैं कि वे बेहद भावुक हैं। तीनों बहनों में बहुत प्यार है। स्कूल समय में जो कुछ भी मन में भाव आते थे, प्रकृति में विचरण करते हुए जो कुछ महसूस करते थे उन्हें कविता के रूप में डायरी में लिख लिया करते थे। वही काव्य संग्रह के रूप में अब सबके सामने है। जिस समय ये कविताएं लिखीं, तब तीनों बहनें स्कूल में पढ़ रही थी। अब बड़ी बहन जेसिका इंजीनियरिग कर बेंगलुरु में एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी कर रही हैं, जबकि नेहा व नताशा बीकाम की छात्रा हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.