आम लोगों में निराशा, न महिलाओं को राहत न युवाओं को
मोगा : कैप्टन सरकार के बजट को लेकर आम लोगों में भारी निराशा का माहौल है। महिलाओं को न किचन के बजट में कुछ राहत मिली ही न ही सुरक्षा पर कोई बात हुई है, आलू उत्पादक किसानों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। घर-घर रोजगार के नाम पर लगते मेलों के बावजूद युवाओं की रोजगार को लेकर ¨चता बजट में नहीं दिखाई दी है।
जागरण संवाददाता, मोगा : कैप्टन सरकार के बजट को लेकर आम लोगों में भारी निराशा का माहौल है। महिलाओं को न किचन के बजट में कुछ राहत मिली ही न ही सुरक्षा पर कोई बात हुई है, आलू उत्पादक किसानों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। घर-घर रोजगार के नाम पर लगते मेलों के बावजूद युवाओं की रोजगार को लेकर ¨चता बजट में नहीं दिखाई दी है। शिक्षा के लिए नहीं कुछ खास : स्नेह लता
गृहिणी स्नेहलता मित्तल का कहना है कि कैप्टन सरकार को शिक्षा के लिए कुछ बजट देना चाहिए था, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। छोटे बच्चों को पढ़ाना काफी मुश्किल हो रहा है। शिक्षा के नाम पर लूट हो रही है, इसके लिए उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री शिक्षा को सस्ता बनाने के कुछ उपाय करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी मिला। रोजगार का नहीं कोई प्रावधान : मदान
रोटरी क्लब सिटी के विजय मदान का कहना है कि सरकार को नौजवानों को रोजगार देने के ठोस उपाय करने चाहिए, अभी रोजगार मेले में जो कंपनियां आ रही हैं वे मजदूरों के बराबर भी वेतन नहीं दे रही हैं, ऐसे रोजगार मेलों का तो लगाने का नौजवानों को कोई फायदा ही नहीं मिलेगा। महिलाओं को नहीं राहत : कशिश
गृहिणी कशिश मित्तल का कहना है कि कैप्टन सरकार के बजट में किचन का कोई ध्यान नहीं रखा गया है, बजट में जिस प्रकार के प्रावधान है, उससे आम आदमी की जरूरत किचन के सामान में किसी प्रकार की कमी नहीं आने वाली है, कम से कम महिलाओं के लिए बजट में राहत के लिए कुछ भी नहीं है। शिक्षण संस्थाओं को बचाने का नहीं किया ठोस उपाय : गुलाटी
लुधियाना ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के एमडी राजीव गुलाटी का कहना कि शिक्षण संस्थाओं को बचाने के लिए सरकार को ठोस उपाय करने चाहिए, लेकिन पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप की बकाया राशि के बराबर भी बजट में प्रावधान होने से शिक्षण संस्थान संचालकों में तो निराशा का ही माहौल है।
आलू उत्पादक किसान भी निराश
आलू उत्पादक किसान वीरपाल ¨सह मान का कहना कि कैप्टन सरकार ने पंजाब में सबसे ज्यादा पिस रहे आलू उत्पादक किसानों के लिए कुछ भी नहीं दिया है। ऐसा लगता है, सरकार तभी सक्रिय होती है जब किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होते हैं। नहीं कोई राहत की बात : ओपी कुमार
सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान ओपी कुमार का कहना है कि बजट में मोगा को कुछ भी नहीं मिला है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का बुरा हाल है, लेकिन कोई भी राहत भरी बात बजट में देखने को नहीं मिली है। नहीं बढ़ाई पेंशन की राशि : कटारिया
बुजुर्ग रमेश कटारिया का कहना है कि कैप्टन सरकार ने पेंशन बढ़ाकर 22 रुपये करने की घोषणा की थी, लेकिन न तो सरकार ने पुरानी घोषणा पर अमल किया न ही इस बजट में पेंशन की राशि बढ़ाने पर कोई प्रावधान किया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए नहीं कोई एलान
सरदार नगर निवासी महिला कृष्णा का कहना है कि बजट में महिलाओं की सुरक्षा व सुविधा के लिए किसी प्रकार का कोई ऐलान नहीं किया है। महिलाओं में बजट को लेकर निराशा है। सड़कों में सुधान के नाम पर नहीं कुछ भी : कविता
कविता का कहना है कि उसे कुछ नहीं चाहिए था कि सिर्फ शहर की सड़कों को सुधार हो जाय, गंदगी खत्म हो जाएगी। आवारा घूमते पशु का प्रबंधन हो, लेकिन बजट में आम आदमी के लिए सबसे ज्यादा गंभीर बने इन बिन्दुओं पर कहीं भी किसी प्रकार की चर्चा नहीं है।