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अपने संभल नहीं रहे, दूसरे दलों के नेताओं पर डोरे डालने की होड़ मची

मोगा लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां शुरू होते ही हर पार्टी में दूसरे दलों के नेताओं को अपने दल में शामिल करने की होड़ मची हुई है हैरानी की बात है कि या तो अपनों की अनदेखी हो रही है या फिर अपने ही दल की गुटबाजी को नहीं संभाल पा रहे हैं। दूसरों में अपनी भविष्य देखने व अपनी पीठ थपथपाने की होड़ लगी हुई है। इस समय सबसे ज्यादा चर्चा नगर निगम के तीन अकाली पार्षदों को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर चल रही है बस बात यहां पर अड़ी हुई है कि इन पार्षदों को विधायक के माध्यम से पार्टी में शामिल किया जाये या पार्टी के जिलाध्यक्ष के माध्यम से।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 10:03 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 10:03 PM (IST)
अपने संभल नहीं रहे, दूसरे दलों के नेताओं पर डोरे डालने की होड़ मची
अपने संभल नहीं रहे, दूसरे दलों के नेताओं पर डोरे डालने की होड़ मची

सत्येन ओझा, मोगा : लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां शुरू होते ही हर पार्टी में दूसरे दलों के नेताओं को अपने दल में शामिल करने की होड़ मची हुई है, हैरानी की बात है कि या तो अपनों की अनदेखी हो रही है, या फिर अपने ही दल की गुटबाजी को नहीं संभाल पा रहे हैं। दूसरों में अपनी भविष्य देखने व अपनी पीठ थपथपाने की होड़ लगी हुई है। इस समय सबसे ज्यादा चर्चा नगर निगम के तीन अकाली पार्षदों को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर चल रही है, बस बात यहां पर अड़ी हुई है कि इन पार्षदों को विधायक के माध्यम से पार्टी में शामिल किया जाये या पार्टी के जिलाध्यक्ष के माध्यम से।

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हैरानी की बात है कि नगर निगम में इस समय अकाली भाजपा पार्षदों का बहुमत है, लेकिन अकाली पार्षद दो गुटों में बंटे होने के कारण बहुमत होकर भी शहर के विकास कार्यों में बाधा बनते रहे हैं, एक गुट किसी प्रस्ताव को पास कराना चाहता था तो दूसरा गुट उस प्रस्ताव को गिराने में लग जाता था। सूत्रों का कहना है कि इसी गुटबाजी के चलते साल 2015 से विकास कार्यों के प्रस्ताव सदन में पास होने के बावजूद टैंडरिग प्रक्रिया तक नहीं पहुंच सके थे। कांग्रेस पार्टी भी अकाली पार्षदों पर विकास के काम में अडंगे डालने के आरोप लगाती रहती थी, लेकिन चुनाव आते ही अब उन्हीं पार्षदों में कांग्रेस को अपना भविष्य दिखाई देने लगा है।

इस संबंध में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष महेशइंदर सिंह का कहना है कि दूसरी पार्टी से आने वाले लोगों का फायदा तो होता ही है, चुनाव आने वाले हैं तो स्वाभाविक रूप से कुछ लोग हवा का रुख देखकर कांग्रेस में आना चाहते हैं। निहालसिंह वाला से अकाली दल छोड़कर अजित सिंह शांत कांग्रेस में शामिल हुए हैं तो उसका लाभ पार्टी को मिलेगा ही।

अकेली कांग्रेस ही नहीं बल्कि अकाली दल भी कांग्रेस के कुछ नेताओं पर डोरे डालने में लगे हुए हैं, अकाली नेता ग्रामीण क्षेत्र में पंच, सरपंचों पर डोरे डालने में लगे हुए हैं। जिलाध्यक्ष तीर्थ सिंह माहला ने ने कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के कई नेता अकाली दल में शामिल होंगे, इसका फायदा पार्टी को होगा, हालांकि उन्होंने निगम में गुटबाजी से इनकार किया।

सिर्फ मुखौटे बदलेंगे, चेहरे नहीं

एक दूसरे दलों के छुटभैये नेताओं को शामिल करने ही होड़ में के बीच अनदेखी का शिकार हो रहे पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर मुखौटे वहीं है सिर्फ पार्टी के नाम ही बदलने हैं तो बेहतर हो पार्टियों को चुनाव के समय अपने नाम ही एक दूसरे के साथ बदल लेने चाहिए।


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