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आधा घंटे जिदगी मौत से जूझती रही गर्भवती

मोगा सिविल अस्पताल में डिलीवरी के लिए पहुंची एक महिला को न तो एम्बुलेंस की सुविधा दी न ही डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल में कोई तैयार हुआ पीड़िता का स्कैन करके ये कहकर डरा दिया कि बच्चा पेट में उलटा पल रहा है जिससे डिलीवरी में देरी हुई तो मां व नवजात दोनों ही जान को खतरा हो सका है। स्टाफ नर्स की बातें सुनकर नौ हजार रुपये के वेतन में पर काम करने वाला व्यक्ति शहर में निजी चिकित्सकों के पास भागता रहा कोई डिलीवरी के लिए 30 हजार रुपये मांग रहा था तो 25 हजार रेलवे रोड पर एक हॉस्पिटल में 21 हजार में सौदा तय हुआ पत्नी की लगातार हालत बिगड़ते देख पति ने किसी तरह पैसों का इंतजाम किया तब जाकर डिलीवरी हो सकी उसकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 11:04 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:25 AM (IST)
आधा घंटे जिदगी मौत से जूझती रही गर्भवती
आधा घंटे जिदगी मौत से जूझती रही गर्भवती

सत्येन ओझा, मोगा : सिविल अस्पताल में डिलीवरी के लिए पहुंची एक महिला को न तो एम्बुलेंस की सुविधा दी, न ही डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल में कोई तैयार हुआ, पीड़िता का स्कैन करके ये कहकर डरा दिया, कि बच्चा पेट में उलटा पल रहा है, जिससे डिलीवरी में देरी हुई तो मां व नवजात दोनों ही जान को खतरा हो सका है। स्टाफ नर्स की बातें सुनकर नौ हजार रुपये के वेतन में पर काम करने वाला व्यक्ति शहर में निजी चिकित्सकों के पास भागता रहा, कोई डिलीवरी के लिए 30 हजार रुपये मांग रहा था तो 25 हजार, रेलवे रोड पर एक हॉस्पिटल में 21 हजार में सौदा तय हुआ, पत्नी की लगातार हालत बिगड़ते देख पति ने किसी तरह पैसों का इंतजाम किया तब जाकर डिलीवरी हो सकी, उसकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया।

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सिविल अस्पताल में शनिवार दोपहर को ये सब उस समय देखने को मिला जब चुनावी मंचों से हर रोज सरकारी अस्पतालों में आने वाली महिलाओं को घर छोड़ने व घर से लाने के लिए 108 एम्बुलेंस की सुविधा देने के दावे ठोक रही हैं। शनिवार को अपनी पत्नी की जान को खतरा देख जिस तरह पति बेबस मदद के लिए भागदौड़ करता रहा, किसी को रहम नहीं आया, सबको बेबस पति की जेब नजर आ रही थी, खतरे में दो जिदगियां पैसों पर भारी थीं।

भीमनगर कैंप निवासी दीपक अरोड़ा मोगा के मेन बाजार में एक कपड़े की दुकान पर नौ हजार रुपये महीने की नौकरी कर परिवार का पेट पालता है। दीपक के पहले एक बच्चा है जो नॉर्मल डिलीवरी से हुआ था। उसकी पत्नी कमलजीत कौर दोबारा गर्भवती हुईं तो दीपक ने सिविल अस्पताल जाकर साढ़े आठ महीने पहले पत्नी की फाइल तैयार करा ली थी। नियमित रूप से कमलजीत कौर सिविल अस्पताल में चेकअप के लिए पहुंचती रही, लेकिन इससे पहले कभी भी असामान्य स्थिति की बात नहीं कही। शनिवार दोपहर में जैसे ही कमलजीत कौर को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो दीपक परिजनों को साथ लेकर सिविल अस्पताल पहुंचा। वहां स्कैनिग कराने के बाद स्टाफ नर्स ने जबाव दिया कि कमलजीत कौर के गर्भ में बच्चा उल्टा है, जिससे डिलीवरी में मां व नवजात दोनों के जीवन को खतरा हो सकता है, दीपक ने अस्पताल स्टाफ से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद करने को तैयार होना तो दूर कुछ सुनने तक को तैयार नहीं थी। हार मानकर दीपक निकट ही कुछ प्राइवेट अस्पतालों में भागा, किसी ने 30 हजार डिलीवरी के मांगे तो किसी ने 25 हजार। बाद में वह रेलवे रोड स्थित सतपाल हॉस्पिटल में पहुंचा वहां 21 हजार में डिलीवरी की डील हुई। हॉस्पिटल पहुंचते ही वहां कमलजीत कौर ने एक बेटी को जन्म दिया। चिकित्सकों का कहना है कि थोड़ी सी देर होने पर भी खतरे के हालात बन सकते थे।

एक डॉक्टर ने किया रिजाइन, दूसरी छुंट्टी पर : सीएमओ

सिविल अस्पताल के सीएमओ डॉ.राजेश अत्री का कहना है कि सिविल अस्पताल में एक महिला चिकित्सक रिजाइन कर चुकी हैं, जबकि दूसरी गायनोकॉलोजिस्ट डॉ.मनीषा दो दिन की छुट्टी पर हैं, इसलिए डिलीवरी नहीं हो सकी।


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